लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग (Basic education department) के अधीन संचालित सरकारी अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले 27,000 से ज्यादा अनुदेशक बेरोजगार हो गए हैं. यह सुनने में अटपटा जरूर है लेकिन सच है. असल में इन अनुदेशकों को सरकार की तरफ से सिर्फ 11 महीने का ही वेतन दिया जाता है.
जून के महीने का वेतन नहीं मिलता है. ऐसे में परेशान अनुदेशकों की तरफ से अब इसके खिलाफ आवाज उठाई जा रही है. अनुदेशकों का कहना है कि पहले ही सरकार उन्हें 17,000 के बजाय 7000 रुपये बतौर वेतन दे रही है. यह वेतन भी सिर्फ 11 महीने के लिए ही दिया जाता है. इसको लेकर एक मामला कोर्ट में भी लंबित है.
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अनुदेशक अंकुश जैन ने बताया कि प्रदेश के 27 हजार से ज्यादा अनुदेशकों का मानदेय केंद्र ने 2017 में बढ़ाकर 17,000 रुपये कर दिया था, जिसको यूपी सरकार ने लागू नहीं किया है. मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर अनुदेशकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. इस पर सुनवाई के बाद जस्टिस राजेश चौहान के सिंगल बेंच ने 3 जुलाई 2019 को आदेश पारित किया था कि अनुदेशकों को 2017 से 17,000 रुपये का मानदेय 9 फीसदी ब्याज के साथ दिया जाए. लेकिन राज्य सरकार ने सिंगल बेंच के आदेश का पालन नहीं किया और इस फैसले के खिलाफ विशेष अपील में चली गई.