लखनऊ: कोरोना संकट के कारण दो साल के लंबे अंतराल के बाद राजधानी स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला खुलने को है. अंतरिक्ष के राज जानने की जिज्ञासा रखने वाले लोग जल्द ही अपनी मुराद पूरा कर पाएंगे. अगले सप्ताह से नक्षत्रशाला खुलने जा रही है. दो साल से कोरोना के चलते नक्षत्रशाला बंद थी. इस दौरान नक्षत्रशाला में प्रशासनिक काम हो रहा था. विगत कुछ महीनों से कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप कम हुआ है, जिस देखते हुए एक बार फिर से प्रशासन ने इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला को खोलने का फैसला किया है.
जानकारी देते इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि नक्षत्रशाला खोलने की तैयारियां रही हैं. नक्षत्रशाला में व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराने का काम चल रहा है. कोरोना का प्रकोप कम है. स्कूल भी खुल गए हैं, जिसको देखते हुए प्रशासन ने नक्षत्रशाला खोलने का फैसला किया है. आने वाले बुधवार से नक्षत्रशाला खुलने जा रही है. यहां अन्य जिलों से स्कूल से बच्चे भी आते रहते हैं.इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में दूरबीनों के माध्यम से तारों, ग्रहों और उपग्रहों के विषय में जानकारी दी जाती है. 2018 में नक्षत्रशाला में लखनऊ महोत्सव के उपलक्ष्य में शहरवासियों को अंतरिक्ष की खगोलीय घटनाओं और ग्रहों को दिखाने के लिए हाईपावर दूरबीन लगाई गई थी. तारामंडल का शनि के आकार में निर्माण पहली ही नजर में प्रभावित करता है. यह पूरी तरह से वातानुकूलित और अत्याधुनिक संयंत्रों से संपन्न है. यहां कला प्रक्षेपण प्रणाली, डिजिटल ध्वनि व्यवस्था के साथ ही विकलांग व्यक्तियों के लिए लिफ्ट रैंप की सुविधा भी है.
लखनऊ में इंदिरा गांधी तारामंडल नक्षत्रशाला में 45 मिनट का एक शो आयोजित होता है. दोपहर 1 से 1.45 बजे तक और फिर 15 मिनट बाद शो शुरू होता है. यहां स्कूल की बुकिंग के लिए दोपहर 2 बजे का शो अंग्रेजी में हिंदी में दोपहर 3.00, 4.00 व 5.00 बजे शो का आयोजन किया जाएगा. तारामंडल सोमवार को बंद रहती है.तारामंडल में एक आर्ट प्रोजेक्शन सिस्टम है जो अपने स्पेशल इफेक्ट और रोमांच के लिए प्रसिद्ध है. यह सभी को रोमांचित करता है. यहां का कॉस्मिक जर्नी शो बेहद लोकप्रिय है जिसे एक बार जरूर देखना चाहिए. यह चंद्रयान मिशन, चांद और प्लूटो को सौरमंडल से हटाने के कारणों की विस्तार से जानकारी देता है. यहां तक कि इसमें विभिन्न मंदाकिनीय, गैलेक्टिकद्ध संरचनाओं और विभिन्न नीहारिकाओं को भी दिखाया जाता है.
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इंदिरा गाँधी तारामंडल अपने आर्ट प्रोजेक्टिंग सिस्टम, डिजिटल साउंड और विशेष रूप से विकलांगों के लिए लिफ्ट-रैंप के लिए भी जाना जाता है. इस तारामंडल में सप्ताहांत और गर्मियों की छुट्टियों के दौरान ज्यादा भीड़ होती थी जब पूरे प्रदेश के बच्चे आकाशगंगा को देखने आते थे.