लखनऊ: मास्को ओलंपिक-1980 की स्वर्ण पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रविंदर पाल सिंह की शनिवार सुबह कोरोना संक्रमण से निधन के चलते खेल जगत में शोक की लहर है. हालांकि नवाबों का शहर लखनऊ खासा गममीन नजर आया. दरअसल, रविंदर पाल सिंह लखनऊ में ही भारतीय स्टेट बैंक में कार्यरत थे. हालांकि उन्होंने नौकरी से सेवानिवृत्ति ले ली थी, लेकिन फिर भी वे अक्सर केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास भारतीय स्टेट बैक के कार्यालय के बाहर की चाय की दुकान पर बैठे मिल जाते थे. उनकी बैठकों का सिलसिला पिछले दो सालों से रूक गया था, लेकिन सरल स्वभाव के रविंदर पाल खेल के प्रमोशन के लिए हरदम तैयार रहते थे.
उनके योगदान के बारे में चर्चा करते हुए ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी अशोक कुमाार ध्यानचंद ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि भारतीय हॉकी के बेहतरीन खिलाडी रविंदर पाल सिंह हमें ऐसे अलविदा कह देंगे. उन्होंने इसे भारतीय हॉकी का बहुत बड़ा नुकसान बताया. उन्होंने कहा कि एक नेक दिल निहायत ही शरीफ ईमानदार इन्सान और बेहतरीन खिलाडी ने आज हमारा साथ छोड़ दिया.
'ताजी हुई 1980 ओलंपिक की यादें'
अशोक कुमार बताते हैं कि मुझे याद है कि जब मैं अपने इंटरनेशनल करियर को अलविदा कह रहा था तब ये सारे खिलाड़ी जिनमें रविंदर पाल सिंह भी शामिल थे, भारत की टीम से इंटरनेशनल खेलने के लिए तैयार हो रहे थे. इसी के साथ अशोक कुमार ध्यानचंद मास्को ओलंपिक की यादें ताजा करते हुए बताते हैं कि टोक्यो ओलंपिक-1964 में स्वर्ण पदक जीतने के 16 साल बाद भारतीय हॉकी टीम ने 1980 में मास्को ओलंपिक मे भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था. यह हॉकी में भारत का 8वां ओलंपिक स्वर्ण पदक था, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
1980 के मास्को ओलंपिक के फाइनल मैच को याद करते हुए अशोक कुमार ध्यानचंद ने कहा कि लग रहा था कि भारत यह मुकाबला आसानी से जीत जाएगा क्योंकि खेल समाप्ति के कुछ मिनटों पहले तक भारत 3 के मुकाबले 0 गोल से आगे चल रहा था. अचानक ही खेल का रुख बदला और स्पेन ने लगातार भारतीय गोल पर हमले किए, जिसके परिणाम स्वरूप उसे एक के बाद एक पेनाल्टी कार्नर मिल गए. स्पेन के रक्षा पंक्ति के खिलाड़ी जुआन आमथ ने इन दोनों पेनाल्टी कार्नर को गोल में तब्दील कर स्कोर 3-2 कर दिया.
स्पेन ने फिर किया पलटवार
भारतीय हॉकी आक्रमण पंक्ति ने एक बार फिर स्पेन के गोल पर जबरदस्त हमला किया. भारत को पेनाल्टी स्टोक मिला, जिसे भारत ने गोल में बदलकर स्कोर 4-2 कर दिया. लेकिन अभी पास बैक ही हुआ था कि स्पेन के खिलाड़ियों ने भारतीय गोल पर फिर जबर्दस्त हमला बोल दिया. परिणामस्वरूप स्पेन को पेनाल्टी कार्नर मिल गया और जुआन आमथ ने भारत के खिलाफ तीसरा गोल कर दिया और स्कोर 4-3 हो गया. स्पेन के खिलाड़ी भारतीय गोल पर जबर्दस्त हमले कर रहे थे. खेल समाप्त होने में कुछ ही मिनट शेष रह गये थे और लग रहा था कि क्या होगा ? भारत के करोड़ों नागरिकों, खेल प्रेमियों की और स्वयं मेरी सांसें रुक सी गई थी, लेकिन भारत ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए 16 वर्षाें के बाद हॉकी का स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया.