लखनऊ : राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में बिजली के लिए हाहाकार मचा हुआ है. कोयले की कमी के चलते तापीय केंद्रों में बिजली का उत्पादन कम हो रहा है. ऐसे में सरकार विदेशी कोयला खरीद कर तापीय केंद्रों में बिजली उत्पादन बढ़ाना चाहती है. इसका भी लगातार उपभोक्ता परिषद की तरफ से विरोध किया जा रहा है. तर्क दिया जा रहा है कि 2021 में जुलाई माह तक बिजली की डिमांड 24 हजार मेगावाट तक रही. उसे लगातार पूरा किया जाता रहा. हालांकि सरकार विदेशी कोयला खरीद कर निजी घरानों को फायदा पहुंचाना चाहती है. इसीलिए अभी उतनी मांग भी नहीं है. फिर भी कोयला खरीदना जल्दबाजी है.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि विदेशी कोयला खरीदने की जल्दबाजी इसलिए दिखाई जा रही है ताकि निजी घरानों को लाभ पहुंचाया जा सके. कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2021 में जुलाई में 24,795 मेगावाट तक विद्युत आपूर्ति बिना विदेशी कोयले के की जा चुकी है. ऐसे में डिमांड बढ़ने के नाम पर विदेशी कोयला खरीदने की बात कर प्रदेश और देश के उपभोक्ताओं के साथ केंद्र सरकार धोखा कर रही है. उनका कहना है कि जुलाई 2021 के महीने में ही आठ दिन तक उत्तर प्रदेश में 24000 मेगावाट के ऊपर विद्युत आपूर्ति की गई. ऐसे में केंद्र सरकार अनवरत रेलवे की रैक देती रहे तो बिना विदेशी कोयले के इस बार भी वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश विद्युत आपूर्ति में रिकॉर्ड बनाएगा.
बिजली बिल रिवीजन की प्रक्रिया होगी ऑनलाइन: बिजली बिल संशोधन के मामले में विभागीय अधिकारियों की तमाम शिकायतें उच्च प्रबंधन के पास पहुंचती हैं. तमाम घपले और घोटाले बिजली बिल संशोधन में होते हैं. इस तरह की समस्या के समाधान के लिए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन बिल रिवीजन की प्रक्रिया ऑनलाइन करने के बारे में विचार कर रहा है. जून से बिल संशोधन की प्रक्रिया ऑनलाइन हो सकती है. इसके लिए एक प्राइवेट संस्था बीते दो माह से सर्वे कर बिजली विभाग को रिपोर्ट सौंप चुकी है.