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पंजाब से यूपी लाये जाते है जानलेवा पिटबुल, पाकिस्तान के खतरनाक कुत्तों से कराया जाता है ब्रीड

लखनऊ के ब्रीडर्स मुताबिक पंजाब और पाकिस्तान से लाई जा रही खतरनाक कुत्तों की नस्ल जानलेवा साबित हो रही है. इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने पशु विशेषज्ञ डॉक्टर नीरज वर्मा से ख़ास बातचीत की.

ईटीवी भारत
जानकारी देते पशु विशेषज्ञ डॉ. नीरज वर्मा

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Published : Jul 15, 2022, 10:50 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी में पालतू पिटबुल ने मंगलवार को अपनी बुजुर्ग मालकिन को नोच कर जान से मार डाला. इस घटना से पेट्स लवर्स और डॉग ब्रीडर्स खौफ में है. ईटीवी भारत जब ऐसी जानलेवा नस्लों की जानकारी लेने के लिए ब्रीडर्स से बातचीत की तो कुछ हैरान करने वाली बातें सामने आई है.

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शुद्ध नस्ल का पिटबुल नहीं होता है इतना घातक:पशु विशेषज्ञ डॉक्टर नीरज वर्मा बताते है कि पिटबुल, साइबेरियन हस्की समेत कुछ ऐसे कुत्तों की नस्लें होती है जो खतरनाक मानी जाती है. लेकिन इतनी भी नही कि वो अपने ही मालिक की जान ले लें. वो बताते है कि पिटबुल की एक कमजोरी होती है जो किसी के लिए भी जानलेवा साबित होती है वो है उसका जबड़ा, जो हमले के दौरान लॉक हो जाता है और जिस जगह वो काटता है वहां का मांस ही निकाल लेता है. डॉक्टर नीरज वर्मा बताते है कि पिटबुल में अग्रेशन इस कदर आना की वो अपने मालिक की जान ले ले वो इस ओर इशारा करता है कि ब्रीडर अलग अलग खतरनाक कुत्तों के बीच ब्रीड करते है और जो उससे बच्चा तैयार होता है वो ज्यादा खतरनाक होता है.


नेपाल के रास्ते लाये जाते हैं कुत्तों की खतरनाक नस्लें:डॉग ब्रीडर नीरज ने ईटीवी भारत को बताया कि पंजाब में अमेरिकन बुली और पिटबुल की डिमांड ज्यादा है. वहाँ से ये कुत्ते नेपाल के रास्ते यूपी लाये जाते हैं. यूपी में कुछ ब्रीडर ऐसे गलत तरीके से लाये गए कुत्तों की ब्रीडिंग करवाते है. नीरज कहते है कि प्योर नस्लें का पिटबुल इतना खतरनाक नही होता कि किसी की जान ले.

उन्होंने बताया कि पंजाब में कुत्तों की फाइटिंग एक तरह का बाजार है. इसके लिए शेड्यूल वन के कुत्ते जिसमें रॉटविलर, मैस्टिफ, हस्की और सबसे ज्यादा पिटबुल की फाइटिंग कराई जाती है. नीरज का कहना है कि बैन के बावजूद पंजाब में डॉग फाइटिंग का खेल नही रुक रहा है. इसकी वजह से यूपी में आसानी से ये खतरनाक नस्ल पहुँच रही और प्रसाशन का ध्यान इस ओर नही जा रहा है.

स्टेटस सिंबल के लिए न पालें खतरनाक कुत्ते: नीरज कहते है कि लोग अपना स्टेटस बनाये रखने के लिए ऐसे खतरनाक कुत्तों को पालते है, लेकिन उन्हें घरवालों के सहारे छोड़ देते है. वो कहते है कि यदि कोई पशु प्रेमी कुत्ता पालना चाहता भी है तो छोटी नस्लों के कुत्ते भी पाल सकते है.

सरकारी रिकार्ड में लखनऊ में दर्ज हैं 4824 पालतू कुत्ते: लखनऊ नगर निगम में 4824 कुत्तों का रजिस्ट्रेशन किया है. 2370 विदेशी नस्लें के बड़े कुत्ते हैं. जिसमें लैब्राडोर 603, गोल्डन रिटिवर 347, जर्मन शेफर्ड 518, रॉटविलर 178 हैं. डॉबरमैन , पिटबुल, बॉक्सर व साइबेरियन हस्की 724 हैं. छोटी ब्रीड में पामेरियन 204, शिटजू 203, पग 172, बीगल 82, लासा अप्सों 248, स्पिट्ज 123 और अन्य 296 हैं.

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