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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: महाराष्ट्र की तर्ज पर कांग्रेस-शिवसेना का गठबंधन संभव, प्रियंका से हो रही बात

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Published : Jan 4, 2022, 6:41 PM IST

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर महाराष्ट्र की तर्ज पर कांग्रेस-शिवसेना का गठबंधन संभव है. इसे लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की शिवसेना सांसद संजय राऊत (Sanjay Raut) से बात चल रही है.

यूपी में कांग्रेस शिवसेना गठबंधन
यूपी में कांग्रेस शिवसेना गठबंधन

लखनऊ: महाराष्ट्र में पहली बार कांग्रेस पार्टी और शिवसेना ने चुनाव के बाद एक साथ मिलकर सरकार बनाई. महाराष्ट्र में दोनों पार्टियों ने चुनाव अलग-अलग लड़ा था, लेकिन परिणाम आने के बाद सरकार मिलकर बनाई. अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में महाराष्ट्र की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी और शिवसेना गठबंधन करके एक साथ चुनाव मैदान में जा सकते हैं.

जानकारी देते शिवसेना के उत्तर प्रदेश प्रमुख ठाकुर अनिल सिंह

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और शिवसेना सांसद संजय राऊत के बीच सीटों को लेकर बात हो रही है. शिवसेना के यूपी राज्य प्रमुख के मुताबिक जल्द ही गठबंधन पर मुहर लग सकती है. महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की संयुक्त सरकार है. महाराष्ट्र में इस गठबंधन को महाविकास आघाडी नाम दिया गया है. महाराष्ट्र में तीनों पार्टियों के साथ मिलकर सफलता से सरकार चलाने के बाद अब अन्य राज्यों में भी यह पार्टियां साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती हैं. गोवा में भी इसी साल चुनाव है, वहां पर महा विकास आघाडी एक साथ चुनावी मैदान में ताल ठोंकने की तैयारी में है.

उत्तर प्रदेश में शरद पवार की एनसीपी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का समर्थन कर रही है, लेकिन शिवसेना उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ कदमताल करते हुए किला फतह करने की कोशिश में जुट गई है. शिवसेना नेता बताते हैं कि इसे लेकर कई बार शिवसेना सांसद संजय राऊत और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी की मुलाकात हो चुकी है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में साथ लड़ने के लिए दोनों पार्टियों के बीच सीटों को लेकर बातचीत जारी है.

100 सीटें चाहती है शिवसेना
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने इस बार किसी भी राजनीतिक दल से गठबंधन नहीं किया है. ऐसे में शिवसेना यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने को तैयार है. शिवसेना के पदाधिकारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में पार्टी पहले से चुनाव लड़ती रही है. शिवसेना कांग्रेस पार्टी से 100 सीट मांग रही है. प्रदेश स्तर पर भी शिवसेना और कांग्रेस के नेताओं की मुलाकातों का सिलसिला जारी है.

पहले भी यूपी में चुनाव लड़ती रही है शिवसेना
उत्तर प्रदेश में पिछले कई सालों से शिवसेना 150 से लेकर 200 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारती रही है, लेकिन सफलता शिवसेना से हमेशा ही कोसों दूर रही. शिवसेना के उत्तर प्रदेश प्रमुख ठाकुर अनिल सिंह बताते हैं कि साल 1991 में पवन पांडेय के रूप में पार्टी का एक विधायक जीता था. तबसे लेकर अब तक जीत तो नहीं हुई है, लेकिन इस बार पार्टी नई रणनीति के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतर रही है. कम से कम 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी है, जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी. उन्होंने बताया कि जहां पर शिवसेना के प्रत्याशी मजबूत हैं. उन सीटों पर अभी से चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है.

पिछले विधानसभा चुनाव में सपा से कांग्रेस ने किया था गठबंधन
कांग्रेस पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. इस गठबंधन का फायदा दोनों को नहीं मिला. कांग्रेस के कुल सात प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल हो पाए थे. उनमें भी दो विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है. वर्तमान में पार्टी के सिर्फ पांच ही विधायक हैं.


क्या कहते हैं शिवसेना के राज्य प्रमुख
शिवसेना के राज्य प्रमुख ठाकुर अनिल सिंह का कहना है कि कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रवाद और शिवसेना का कट्टर हिंदुत्ववाद का सभी ने परिणाम देखा. महाराष्ट्र में हमारी सरकार चल रही है. इस व्यवस्था को उत्तर प्रदेश में भी लागू करना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी के नकली हिंदुत्व से लड़ने के लिए शिवसेना को यहां पर कांग्रेस की मदद की जरूरत है और जिस फार्मूले के तहत महाराष्ट्र में सरकार चलाकर पूरे देश को दिखा दिया है. उत्तर प्रदेश में उसको आजमाया जा सकता है. हमारे राष्ट्रीय नेता संजय राऊत ने प्रियंका गांधी से बात की है. आगे सार्थक बात अगर होगी, तो निश्चित तौर पर इस फार्मूले के तहत उत्तर प्रदेश में हम एक साथ चुनाव लड़ सकते हैं. जहां तक सीटों की बात है, तो हम 100 सीटों पर उत्तर प्रदेश में तैयारी कर रहे हैं. अगर गठबंधन होता है तो राष्ट्रीय नेता जो भी तय करेंगे, हम उतनी सीटों पर लड़ेंगे.

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कांग्रेस करेगी शिवसेना के कदम का स्वागत
कांग्रेस की प्रवक्ता सृष्टि कश्यप सिंह का कहना है कि साथ आ सकते हैं या नहीं आ सकते हैं, वो बाद की बात है. मिलना जुलना, मुलाकात करना तो लाजमी है, क्योंकि हम सरकार में हैं, गठबंधन में हैं. महाराष्ट्र में हमारी सफल सरकार है. बहुत अच्छा काम हुआ है. वहां महाविकास आघाडी आई. वहां पर हमने धर्म की राजनीति बंद करके विकास की राजनीति की शुरुआत की. हम महाराष्ट्र की तरह उत्तर प्रदेश में भी गठबंधन करने को तैयार हैं.

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