लखनऊ. उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन (Uttar Pradesh Power Corporation) को रास नहीं आ रहा है कि बिलिंग एजेंसी ई सुविधा बिल कलेक्शन के नाम पर प्रति बिल ₹25 का चार्ज करती है. इस पैसे को बचाने के लिए अब पावर काॅरपोरेशन नई प्लानिंग करने में जुट गया है. दीपावली के बाद बिलिंग एजेंसी ई सुविधा का काम तमाम हो सकता है. शर्त रखी गई है कि अगर एजेंसी चाहे तो 0.5 प्रतिशत की दर से कमीशन लेकर काम कर सकती है. अगर ऐसा नहीं किया तो दीपावली के बाद बोरिया बिस्तर बांध ले. पावर काॅरपोरेशन के ऊर्जा ऑडिट और लेखा निदेशालय की तरफ से प्रबंध निदेशक को पत्र भी भेजा गया है कि बिलिंग एजेंसी का काम छिने, लेकिन बिलिंग में दिक्कत नहीं आए. बता दें कि हर माह लेसा में ई सुविधा केंद्र के करीब 67 सेंटर 70% बिल जमा करते हैं, जिससे कुल राजस्व का 300 करोड़ रुपया कलेक्ट होता है.
प्रदेश भर में स्थापित ई सुविधा केंद्र पर दीपावली के बाद उपभोक्ताओं को मिलने वाले बिल जमा करने की सुविधा समाप्त हो सकती है, क्योंकि बिजली विभाग के प्रस्ताव ई सुविधा केंद्र को मंजूर नहीं हैं और पावर काॅरपोरेशन एक बिल जमा करने के लिए इतना खर्च करने को तैयार नहीं है. पावर काॅरपोरेशन चाहता है कि एक बिजली बिल जमा करने पर ₹25 के बजाए अगर एजेंसी चाहे तो 0.5 प्रतिशत कमीशन ले सकती है. एजेंसी ने अभी तक उनका यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया. ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही नई एजेंसी या तो काम करने के लिए आएगी या फिर बिजली विभाग के कर्मचारियों को ही प्रशिक्षित कर काम लिया जाएगा.
पावर काॅरपोरेशन के ऊर्जा और लेखा निदेशालय के मुख्य अभियंता अजय अग्रवाल के मुताबिक, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को पत्र भेजकर बता दिया गया है कि बिलिंग में किसी तरह की दिक्कत नहीं आए. आगामी 24 अक्टूबर के बाद अगर बिलिंग एजेंसी की सुविधा समाप्त होती है फिर भी उपभोक्ताओं के बिल जमा होते रहने चाहिए. इसके लिए बिजली विभाग के बाबुओं की बिलिंग आईडी बनाई जाए. आईसीआईसीआई बैंक की पीओएस मशीन से बिल जमा किया जाए. इसके लिए बाबुओं का आईकार्ड बनाने का काम तेजी से पूरा किया जाए. कैशियर आईडी बैंक से बना दी गई है. डिविजन स्तर पर जरूरी कार्रवाई पूरी की जाए. मुख्य अभियंता के इस पत्र से यह तय हो गया है कि अब ई सुविधा केंद्र की सेवाएं आखिरी दौर में हैं. अगर ई सुविधा यानी मेधज कंपनी के कर्ताधर्ता पावर काॅरपोरेशन की शर्तों के मुताबिक काम नहीं करेंगे तो नई कंपनी इसकी जगह ले लेगी.