लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कई राज्यों के पदाधिकारियों के साथ गहन समीक्षा की. अब तक 13 राज्यों के पदाधिकारियों के साथ मायावती बैठक कर चुकी हैं. हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के पदाधिकारियों के साथ गुरुवार को समीक्षा बैठक की और आगे के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए. इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार में बहुमूल्य राष्ट्रीय संपत्तियों का जिस तरह के साथ निजीकरण किया जा रहा है वह देश की बुनियाद को खोखला करने जैसा ही घातक है.
पूरे दिन चली अहम बैठक में वर्तमान राजनीतिक हालात और सरकारी कार्यकलापों के फीडबैक का मायावती ने जिक्र किया. कहा कि घनी आबादी वाले हरियाणा, मध्य प्रदेश और यूपी जैसे राज्यों का नाम आते ही वहां गरीबी, बेरोजगारी, जातिवादी और सांप्रदायिक तनाव हिंसा की तस्वीर सामने आ जाती है, जबकि यहां इन राज्यों में वर्षों से कथित डबल इंजन की सरकार है. इसके कारण उन राज्यों में बहुप्रचारित सरकारी विकास, स्मार्ट राज्य के सुखद जीवन की सुनहरी तस्वीर लोगों के सामने उभर कर आनी चाहिए थी. मायावती ने कहा है कि आज देश में कड़वी मानसिकता यही है कि ऐसी कोई सरकार नहीं दिखती है जो महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी के अलावा जनहित व जनकल्याण के संबंध में पूरी गंभीरता और ईमानदारी के साथ काम करने की स्थिति में है, इसलिए नए भारत की नई सुंदर तस्वीर बनकर कोई राज्य नहीं उभर पा रहा है.
कांग्रेस के समय में जातिवाद, भ्रष्टाचार आदि का अभिशाप देश को खोखला कर रहा था, लेकिन अब उसमें सांप्रदायिक हिंसा, तनाव और सरकारी विद्वेष बड़े पैमाने पर शामिल हो गया है, तो फिर ऐसे देश में विकास के लिए जरूरी हिंसा और तनाव मुक्त व्यवस्था का माहौल कहां से पैदा होगा? उन्होंने कहा कि सरकारें इस बारे में जरूर चिंतन करें. मायावती ने कहा कि छत्तीसगढ़, दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य में अपेक्षा के अनुसार लोगों की सबसे बड़ी गरीबी व बेरोजगारी की समस्या है. रोजगार की जरूरत का सही से पूरा नहीं होने पर वहां परिवारों का बुरा हाल है. आईटी सेक्टर में अपना स्थान रखने वाले कर्नाटक जैसे राज्य में भी हिंसा और हत्याओं का दुष्चक्र अति दुखद और घातक है, इसीलिए इन सभी राज्यों में न्याय आधारित कानून व्यवस्था सुनिश्चित करना बहुत ही जरूरी है.