फिरोजाबाद:यूपी में एक जुलाई से शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है. 19 दिनों का समय बीत चुका है लेकिन परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले नौनिहालों को अभी तक किताबें नहीं मिली हैं. विद्यालयों में 13 लाख 59 हजार किताबों की जरूरत है, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग केवल एक लाख 33 हजार 442 किताबें सत्यापन के बाद उपलब्ध करवा सका है. ऐसे में इन किताबों का मिलना 'ऊंट के मुंह मे जीरे' के समान है.
परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले गरीब बच्चे जो किताबें नहीं खरीद सकते, किताबों के अभाव में उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए यूपी सरकार ने बच्चों को निःशुल्क किताबें देने का निर्णय लिया है. लेकिन, सरकार का यह निर्णय लेट लतीफी का शिकार हो गया है. प्रशासन बच्चों को समय पर किताबें उपलब्ध नहीं करा पा रहा है. जिसके चलते बच्चे पुरानी किताबों से पढ़ने के लिए मजबूर हैं.
बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनपद में 1865 परिषदीय विद्यालय संचालित होते हैं. इन विद्यालयों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए लगभग 13 लाख 59 हजार किताबों की जरूरत है. लेकिन प्रशासन ने सिर्फ सवा लाख किताबें सत्यापन के बाद विद्यालयों में भेजा है.