आगरा:बारिश और बूंदाबांदी के साथ ही उमस और गर्मी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. उमस और गर्मी से शरीर के स्किन फोल्डस में पसीना और गंदगी की वजह से फंगस पनप रहा है. इससे खुजली और त्वचा संबंधी अन्य परेशानी लोगों को हो रही है. स्किन फंगस से परेशान एसएनएमसी की ओपीडी में 350 से ज्यादा चर्म रोग के मरीज पहुंच रहे हैं.
जिसमें बच्चे, युवा, महिला, पुरुष और बुजुर्ग शामिल हैं. इस मौसम में बच्चों में अर्टिकेरिया और लोगों में सोराइसिस की परेशान भी बढ़ रही है. इसके साथ ही झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा दी जाने वाली कोई भी स्टेरॉयड क्रीम लोगों का दर्द और मर्ज बढ़ा रही है. क्योंकि, फंगल इंफेक्शन की जगह पर लगातार स्टेरॉइड लोशन (क्रीम) लगाने से फंगस ठीक होने की जगह बढ़ जाता है और बाद में इसे ठीक होने में एक साल से ज्यादा का समय लगता है.
बारिश, उमस और गर्मी से स्किन फोल्डस में पनप रहा फंगस स्किन फोल्डस में फंगस इंफेक्शन बढा: सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज (एसएनएमसी) के स्किन डिपार्टमेंट एचओडी डॉ. यतेंद्र चाहर बताते हैं कि इस मौसम में फंगस इंफेक्शन के ज्यादा चांस स्किन फोल्डस में रहते हैं. हमें स्किन फोल्डस ड्राई रखने चाहिए. गीले कपड़े नहाकर न पहनें. यदि फंगल इंफेक्शन हुआ है तो तुरंत त्वचा रोग विशेषज्ञ को दिखाएं और उपचार कराएं. अपनी मर्जी से बाजार से क्रीम लेकर न लगाएं. अधिकतर क्रीम में स्टेरॉयड होता है. जिससे फंगस ज्यादा खतरनाक हो जाता है.
झोलाछाप बढा रहे दर्द और मर्ज:एसएनएमसी (सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज) के स्किन डिपार्टमेंट एचओडी डॉ. यतेंद्र चाहर बताते हैं कि, लोग फंंगल इंफेक्शन होने पर खुद बाजार से क्रीम खरीद लेते हैं या किसी झोलाछाप की सलाह पर क्रीम लगाते हैं. इस वजह से त्वचा का फंंगल इंफेक्शन ठीक होने में एक साल से भी ज्यादा तक का समय लग जाता है. जबकि, आमतौर पर एक से डेढ माह में फंंगल इंफेक्शन ठीक हो जाता था. क्योंकि, लबें समय तक स्टेरॉयड युक्त क्रीम लगाने से और सही डाइग्नोस न होने से फंंगल इंफेक्शन का मर्ज और बढ़ता जा रहा है. इस कारण से फंंगल इंफेक्शन ठीक होने में अधिक समय लग रहा है.
सोराइसिस और अर्टिकेरिया की समस्या बढ़ी: इस मौसम में सोराइसिस और अर्टिकेरिया जैसे स्किन प्रॉब्लम भी बढ़ जाती हैं. क्योंकि उमस से स्किन पर एलर्जी अधिक होती है. इसके साथ ही बच्चों में अर्टिकेरिया की समस्य सबसे ज्यादा होती है. इसकी वजह यह है कि, बच्चे हरी सब्जी बिना धुले खा लेते हैं. बच्चों के हाथों की सफाई सही नहीं होती है. जिससे बच्चों के पेट में पैरासिटक वॉर्म की समस्या होती है. इससे पेट में कीड़े पड जाते हैं. भारत की बात करें तो बच्चों में 60 प्रतिशत अर्टिकेरिया पैरासिटिक इंफेक्शन की वजह से होता है.
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यूं रखे स्किन का ख्याल-
-नहाकर गीले कपडे न पहनें.
-स्किन फोल्डस की सफाई रखें.
-हाथ और पैर को साफ रखें.
- बारिश में भीगने पर सूखे कपड़े पहने.
- खुजली या दाग होने पर तुरंत चिकित्सक से मिलें.
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