लखनऊ: कोविड-19 महामारी से प्रभावित बच्चों की सुरक्षा और देखभाल के लिए विभिन्न धर्म गुरुओं ने लोगों से अपील की है. शनिवार को महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश और यूनिसेफ (UNICEF) द्वारा आयोजित धर्म गुरु सम्मेलन में धर्म गुरुओं ने कहा कि कोविड प्रभावित बच्चों के बचपन को बचाने के लिए हर व्यक्ति को अपना कर्तव्य निभाना होगा. धर्म गुरुओं ने बच्चों को बाल श्रम से बचाने पर भी जोर दिया.
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UNICEF की उत्तर प्रदेश चीफ रहीं मौजूद
यूनिसेफ उत्तर प्रदेश की चीफ ऑफ फील्ड ऑफिस रूथ लीयनों ने कहा कि कोविड महामारी में बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण आदि सब कुछ प्रभावित हुआ है. जिन बच्चों ने महामारी के कारण अपने माता-पिता, दोनों या फिर किसी एक को भी खोया है, उनके लिए यह समय और भी चुनौतीपूर्ण है. ऐसे बच्चों को विशेष देखभाल और स्नेह की आवश्यकता है. उन्होंने धर्म गुरुओं से टीकाकरण को भी बढ़ावा देने का अनुरोध किया, ताकि कोविड 19 से होने वाली मृत्यु कम हों और जल्द ही स्थितियां सामान्य हो सकें.
महिला कल्याण विभाग ने जताई चिंता
उत्तर प्रदेश के महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने इस दौरान कहा कि कोविड प्रभावित बच्चों के लिए सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरुआत की गई है. हमारा उद्देश्य है कि योजना का लाभ प्रत्येक कोविड प्रभावित बच्चे तक पहुंचे. ऐसे किसी भी बच्चे की जानकारी 1098 अथवा 181 पर अवश्य साझा करें और बच्चों को गलत हाथों में पड़ने से रोकने में अपना सहयोग करें. उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक लगभग 3000 कोविड प्रभावित बच्चों के विषय में पता चला है. जिन्होंने माता-पिता में से किसी एक अथवा दोनों को खोया है.
वेबीनार में जुड़े कई वरिष्ठ धर्मगुरु
मनकामेश्वर मठ लखनऊ की महंत देव्यागिरि ने कहा कि महामारी के कारण भय का वातावरण हैं. बच्चों के साथ ही बड़े भी अपनों को खोने के बाद भयभीत हैं और मानसिक रूप से टूट चुके हैं. ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम मिलकर ऐसे लोगों की सहायता के लिए सामने आएं. हमें सुनिश्चित करना होगा कि माता-पिता के देहांत के बाद कोई भी बच्चा गलत व्यक्ति अथवा संस्थान के पास न जाए और प्रत्येक प्रभावित बच्चा सरकार द्वारा चलाई जा रही सेवाओं से जुड़कर लाभ ले सके.
बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाना ही असल इबादत
ऐशबाग ईदगाह के शाही इमाम और वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हर मजहब हमें जरूरतमंदों की मदद करने की सीख देता है. आज जब तमाम मासूम बच्चे अपने माता-पिता को खोने के बाद अकेले हो गए हैं तो हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. इस समय ऐसे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाना ही असली इबादत है. उन्होंने बालश्रम निवारण के लिए भी कदम उठाने पर जोर दिया है.
800 धर्मगुरुओं ने ऑनलाइन प्रतिभाग लिया
सम्मेलन में एक ओपेन सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसका संचालन यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के प्रोग्राम मैनेजर अमित महरोत्रा द्वारा किया गया. उन्होंने कोविड महामारी में भ्रांतियों को दूर करने और कोविड उपयुक्त व्यवहारों के लिए लोगों को प्रेरित करने में धर्म गुरुओं की भूमिका की सराहना की. सम्मेलन में प्रदेश के 75 जिलों से 800 धर्म गुरुओं ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया एवं अपने समुदाय में कोविड प्रभावित बच्चों के प्रति संवेदनशीलता बनाए रखने के लिए जनता से अपील की.