महराजगंज: जिला जेल में दो सजायाफ्ता कैदियों ने पैरोल पर मिली रिहाई को आर्थिक तंगी के कारण लेने से इनकार कर दिया. पैरोल मिलने के बाद दोनों कैदियों ने जेलर को पत्र लिखकर आर्थिक तंगी का हवाला देकर जेल में ही रहने देने की गुहार लगाई. पिछले वर्ष दोनों सजायाहफ्ता कैदी पैरोल पर रिहा हुए थे. उस दौरान घर आने पर लाॅकडाउन में उन्हें कोई काम नहीं मिला, जिसके कारण उन्हें कई बार भूखे पेट सोना पड़ा.
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दोनों को दहेज हत्या में सात-सात वर्ष की मिली है सजा
कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए महराजगंज जेल से बंदियों को अंतरिम जमानत और सजायाफ्ता कैदियों को 60 दिनों की पैरोल पर छोड़ा जा रहा है. महराजगंज जिला जेल से 76 बंदी अंतरिम जमानत पर रिहा किए जा चुके हैं. पैरोल के लिए सात कैदियों को चिह्नित किया गया है. इनमें घुघली के हरपुर महंथ निवासी 31 वर्षीय बृहस्पति और श्यामदेउरवा के कछरहवां निवासी 29 वर्षीय कमलेश भी हैं. दोनों दहेज हत्या में सात-सात वर्ष के सजायाफ्ता हैं, जो 2017 से जेल में बंद हैं. दोनों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. काम धंधा न मिलने पर दो वक्त की रोटी मिलना भी इनके नसीब में नहीं होता है. ऐसे में दोनों सजायाफ्ता कैदियों ने पैरोल देने की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए आर्थिक कारणों का हवाला देते हुए जेलर को पत्र लिखा है. दोनों कैदियों को सात-सात वर्ष की सजा मिली है. फिलहाल दोनों कैदियों की अपील पर जेल प्रशासन ने उनकी रिहाई पर रोक लगा दी है. कैदियों का कहना है कि आर्थिक तंगी के अलावा दोनों अपनी सजा भी जल्द पूरी करना चाहते हैं. पैरोल की अवधि सजा में जुड़ती है, इसलिए दोनों ने पैरोल पर मिली रिहाई को लेने से इनकार कर दिया.