आजमगढ़: प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों को भले ही बेहतर सुविधाएं देने का दावा करती हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश के कईं शहरों में पुलिसकर्मियों के रहने के बैरक खस्ताहाल स्थिति में पहुंच चुके हैं और कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है. आजमगढ़ जिले के पुलिसकर्मियों के रहने के बैरक बाहर से देखने में तो सही दिखते हैं, लेकिन अंदर से बैरक की स्थिति बेहद ही खस्ता है. पुलिसकर्मियों से जब ईटीवी संवाददाता ने इस मामले पर बात की तो उनका कहना था कि दीवार में दबकर मरने से तो अच्छा है कि बॉर्डर पर मर कर शदीह हो जाएं.
आजमगढ़ : मौत के साये में रात बिताने को मजबूर पुलिसकर्मी - आजमगढ़
प्रदेश सरकार पुलिसकर्मियों को बेहतर सुविधाएं देने का दावा करती हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश के कईं शहरों में पुलिसकर्मियों के रहने के बैरक खस्ताहाल स्थिति में पहुंच चुके हैं और कभी भी कोई बड़ी घटना पुलिसकर्मियों के साथ घट सकती है.
मौत के साये में रात बिताने को मजबूर पुलिसकर्मी
ईटीवी संवाददाता ने पुलिसकर्मियों के बैरक की सच्चाई जानने की कोशिश की तो पता चला कि वास्तव में बैरकों की हालत बेहद की खस्ता है. बैरकों की दीवार जगह-जगह से टूटने के साथ ही गिरने की हालत में पहुंच चुकी है. वहीं छतों का प्लास्टर गिर रहा है. इससे पुलिसकर्मी दहशत में रहने को मजबूर हैं. शौचालय भी बुरी हालत में हैं. यहां गंदगी और खस्ताहाली साफ देखने को मिलती है. वहीं इतना सब होने के बाद भी अधिकारियों को इन पुलिसकर्मियों की कोई परवाह नहीं है.