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डॉ. कफील ने यूपी CM योगी आदित्यनाथ पर दिया बड़ा बयान, कहा- अबकी ऐसा नहीं होगा

डॉ. कफील खान मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में चमकी बुखार पीड़ित बच्चों के लिए कैम्प करने गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर एक बच्चे की जिंदगी बचा लूंगा, तो मेरी जिंदगी संवर जाएगी. डॉ. कफील चुप बैठने वालों में से नहीं हैं.

डॉ. कफील ने यूपी CM योगी आदित्यनाथ पर दिया बड़ा बयान

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Published : Jun 22, 2019, 11:50 PM IST

मुजफ्फरपुर: एसकेएमसीएच में बच्चों का निशुल्क इलाज करने पहुंचे डॉ. कफील ने प्रशासनिक उदासीनता को बच्चों की मौत का जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में न तो डॉक्टर्स हैं और न ही नर्स. वहीं, ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बीआरडी मेडिकल कॉलेज मामले और बहराइच मामले में अपनी राय रखी.

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के समय डॉक्टर कफील खान का नाम सुर्खियों में रहा. उस दौरान डॉक्टर कफील पर कई आरोप लगे और उन्हें जेल जाना पड़ा. इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया है.

डॉ. कफील खान मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार पीड़ित के लिए कैम्प करने गए हैं.

योगी जी लेकर आए सुर्खियों में
बीआरडी मेडिकल कॉलेज मामले में जब उनसे पूछा गया कि उस दौरान आपका नाम फेमस हुआ, तो डॉक्टर कफील ने हंसते हुए कहा कि मैं खुद सुर्खियों में नहीं आया था. मुझे तो योगी जी सुर्खियों में लेकर आए थे. डॉ. कफील ने भावुक मन से कहा कि मैं अगर एक भी बच्चे की जान बचा लेता हूं, तो लगता है कि जीवन संवर गया है.

योगी जी ने भिजवाया जेल- डॉ. कफील
वहीं, उन्होंने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम फिर से लेते हुए कहा कि बहराइच में भी मैं बच्चों की जान बचाने गया. उस मामले में भी योगी जी ने मुझे जेल भिजवा दिया, लेकिन हम इस बार एसडीएम से अनुमति लेकर ये कैंप कर रहे हैं.

प्रशासनिक लापरवाही
डॉ. कफील ने कहा कि 'मुझे एहसास हुआ कि बीमारी से ज्यादा सरकारी तंत्र की विफलता की वजह से बच्चे मर रहे हैं. डॉक्टर और नर्सेज की भारी कमी है. एक-एक बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है. यहां तक कि उचित दवाइयां तक नहीं हैं. वहां महज 4 सौ मरीजों पर 4 डॉक्टर हैं. आईसीयू की हालत बेहद खराब है. मरीजों के साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया जा रहा है.

बीआरडी मामले में ऐसे फंसे
बता दें कि जिस समय बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी हुई, उस समय डॉ. कफील ने अपने साथियों से सिलेंडर की मांग की. वे देर रात तक दर-दर सिलेंडर की खोज करते रहे, लेकिन बाद में उनके ऊपर आरोप लगे कि डॉ. कफील हॉस्पिटल के सिलेंडर का प्रयोग निजी क्लीनिक में करते थे. डॉ. कफील को अस्पताल में आने वाले सिलेंडर का भुगतान न किए जाने और इस बात को छिपाने का भी आरोप लगा.

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