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लखनऊ विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जी मार्कशीट के धंधे की एसआईटी करेगी जांच

उत्तर प्रदेश में फर्जी मार्कशीट का खेल किसी से छिपा हुआ नहीं है, लेकिन इस खेल के तार राजधानी लखनऊ स्थित प्रतिष्ठित लखनऊ विश्वविद्यालय से भी जुड़े होंगे इसके बारे में किसी ने सोचा नहीं होगा. एक छात्र की शिकायत पर पुलिस ने फर्जी मार्कशीट का धंधा करने वाले गिरोह को भांडाफोड़ किया है.

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Published : Apr 22, 2019, 10:08 AM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा सामने आने के बाद पुलिस को कई ऐसे सबूत मिले हैं. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लखनऊ विश्वविद्यालय कई आला अधिकारी भी इस फर्जी मार्कशीट के रैकेट में शामिल है. वहीं अब फर्जी मार्कशीट मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई है.

जानकारी देते संवाददाता.
  • राजधानी लखनऊ से फर्जी मार्कशीट का धंधा करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. जिसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय ने कार्रवाई करते प्रमुख पदों पर कार्य करने वाले चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है.
  • जानकीपुरम निवासी सौरव यादव नाम के युवक की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए नायब हुसैन को गिरफ्तार किया है. जिसके पास से फर्जी मार्कशीट बनाने में प्रयोग की जाने वाली सामग्री बरामद हुई है.
  • आरोपी नायाब हुसैन से पूछताछ की तो उसने अपने साथ अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता की बात स्वीकारी. जिसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जहां चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है तो वहीं इन कर्मचारियों की अलमारी को भी सीज कर दिया गया है जिसमें जरूरी दस्तावेज रखे हुए हैं.
  • वहीं अब इस गोरखधंधे की सघन जांच एसआईटी को सौंप दी गई है.
  • जिन कर्मचारियों को लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने निलंबित किया है. उनके पास महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां थी.
  • निलंबित किए गए संजय सिंह चौहान कनिष्ठ सहायक बीएससी द्वितीय वर्ष, राजीव पांडे वरिष्ठ सहायक बीए द्वितीय वर्ष, जेबी सिंह कनिष्ठ सहायक डिग्री सेक्शन में समायोजित थे. वहीं नायाब हुसैन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पदों पर तैनात थे.


पुलिस ने यूनिवर्सिटी को भेजी रिपोर्ट
पुलिस सक्रियता दिखाते हुए जालसाज के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. पुलिस ने अपनी कार्रवाई की एक रिपोर्ट बनाकर लखनऊ विश्वविद्यालय को दे दी है जिसमें पुलिस ने बताया है कि जालसाज डेढ़ लाख रुपए प्रति सेमेस्टर के हिसाब से पैसे लेकर फर्जी मार्कशीट उपलब्ध कराते थे. पुलिस की रिपोर्ट से साबित होता है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट का एक बड़ा गिरोह चल रहा था.

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