जौनपुर:प्रदेश में जननी सुरक्षा पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. मातृ-शिशु मृत्यु दर पर नियंत्रण पाने के लिए प्रसूताओं को प्रसव पूर्व और प्रसव बाद पोषण व सभी जांचें और इलाज निशुल्क किया जा रहा है. महिला अस्पताल में तो प्रसव के लिए आने वाली प्रसूताओं और सीजर ऑपरेशन के बाद भर्ती होने वाली गर्भवतियों की सेहत का भी ख्याल अस्पताल प्रशासन को नहीं है. उन्हें पंखों की आग उगलती हवा में लिटाया जा रहा है. इससे उन पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. शिकायतों के बाद भी अस्पताल प्रशासन इस पर ध्यान न दे प्रसूताओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहा है.
44 डिग्री में सिर्फ पंखे की हवा में नवजात
योगी सरकार सरकारी अस्पतालों को बेहतर करने की कोशिश में जुटी हुई है, वहीं केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत के माध्यम से स्वास्थ सुरक्षा का कवच देकर देश के 50 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचाया. जौनपुर के केराकत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 44 डिग्री के तापमान में प्रसूता और नवजात को पंखे में ही रखा जा है. अस्पताल के जननी सुरक्षा वार्ड में प्रसूता मरीजों के लिए न तो एसी है न ही कूलर लगा हुआ है. इस तपती गर्मी में प्रसूता और नवजात परेशान हैं, लेकिन उनकी चिंता किसी को नहीं है.
जानें क्या है मामला
- पिछले दिनों जिलाधिकारी ने अपने घर का एसी अस्पताल के जनरल वार्ड में लगाया तो उनके काम की पूरे देश में सोशल मीडिया पर चर्चा और वाहवाही हुई.
- वहीं जौनपुर के केराकत सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पर अभी भी इस तपती गर्मी में मरीजों के लिए वार्ड में पंखे ही लगे हैं.
- अस्पताल के जननी सुरक्षा वार्ड में चार प्रसूताएं भर्ती थीं.
- प्रसूता महिलाओं के लिए गर्मी भगाने के लिए केवल पंखे ही लगे हैं.
- केराकत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत खस्ताहाल है.
- अस्पताल में कोई भी महिला डॉक्टर तैनात नहीं है, फिर भी नर्स के भरोसे प्रसव कराया जा रहा है.