लखनऊःलखनऊ विश्वविद्यालय के भीतर बनी लाल बारादरी का बड़ा हिस्सा सोमवार को ध्वस्त हो गया. बीते दिनों इस इमारत में पड़ी दरारें साफ नजर आने लगी थी. लगातार इसकी मरम्मत की मांग की जा रही थी, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा है कि इस ऐतिहासिक इमारत का एक बड़ा हिस्सा सोमवार को ध्वस्त हो गया और बाकी हिस्सा गिरने की कगार पर है.
नवाबों ने अपनी बेगम के लिए बनवाई थी बारादरी
इतिहासकारों की मानें तो, लाल बारादारी इमारत की बुनियाद नवाब गाजीउद्दीन हैदर शाह ने सन 1819 में रखी थी. जो उनकी बेगम बादशाह बेगम के नाम पर थी. बाद में अवध के दूसरे राजा और उनके पुत्र नसीर उद्दीन शाह हैदर शाह ने इस इमारत का निर्माण कार्य पूरा करवाया था. नवाब नसीर उद्दीन हैदर शाह इसे अपनी रानियों के पिकनिक स्थल के रुप में बनवाना चाहते थे. जो गोमती नदी की दूसरी तरफ छतर मंजिल महल में रहती थीं. उनका परिवार नाव से गोमती नदी पार कर बादशाह बाग में पिकनिक मनाने आया करता था.
इसलिए कहते हैं लाल बारादरी
इस इमारत में कई हॉल थे. वर्तमान में जिस हॉल में मस्जिद है, उसे लोटस हॉल के नाम से जाना जाता है. ऐसे और कई हॉल थे. तहखाना और सुरंगें भी हैं. कहा जाता है कि यहां स्थित फाउंटेन का सीधा जुड़ाव गोमती नदी से था. लाल रंग का होने के कारण इसे बाद में लाल बारादरी कहा जाने लगा.
यह भी पढ़ें:स्वास्थ्य विशेषज्ञों का एक सलाहकार पैनल किया जाए तैयार: सीएम योगी
रंग उतरा तो कर लिया किनारा
राजा महमूदाबाद ने जब आस पास की जमीन एलयू को दे दी, तो ये भी इसी के हिस्से में आ गई. लाल बारादरी के मुख्य हिस्से में पहले यूको बैंक चलता था, जबकि दूसरे हिस्से में कैंटीन, स्टॉफ क्लब, मस्जिद और को-ऑपरेटिव सोसायटी का कार्यालय था. बिल्डिंग जर्जर होती गई तो विवि ने इसकी मरम्मत कराने की जगह इसके कार्यालय दूसरे विभागों में शिफ्ट करके इसे एएसआई के हवाले कर दिया. बीते दिनों लाल बारादरी के इस हिस्से में बड़ी दरारें दिखने लगी थी. इसको लेकर छात्रों की ओर से भी शिकायत की गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.