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अयोध्या : 84 कोसी परिक्रमा के लिए पहला जत्था रवाना - ayodhya news

भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में हनुमान जयंती के दिन 84 कोसी परिक्रमा निकाली गई.  84 कोसी परिक्रमा अयोध्या, बस्ती, अंबेडकरनगर, बाराबंकी और गोंडा जिलो के मार्ग से होते हुए निकलेगी.

84 कोसी परिक्रमा का पहला जत्था रवाना.

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Published : Apr 20, 2019, 11:45 AM IST

अयोध्या :भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में शुक्रवार को 84 कोसी परिक्रमा निकाली गई. हनुमान जयंती के दिन से शुरू हुई 84 कोसी परिक्रमा के लिए पहला जत्था करीब 300 लोगों का रवाना किया गया. यह जत्था अयोध्या समेत दो प्रांतों से होकर के 84 कोसी परिक्रमा को पूरा करेगा. इस परिक्रमा को कई भागों में पूरा किया जाता है. मान्यता के अनुसार कुछ लोग एकल, द्वितीय, तृतीय अथवा पंचम परिक्रमा तक करते हैं. वहीं विश्व हिंदू परिषद के गणमान्य समेत कई बड़े नेता मौके पर मौजूद रहे.

84 कोसी परिक्रमा का पहला जत्था रवाना.

10 मई तक चलेगी 84 कोसी परिक्रमा

  • कारसेवक पुरम से निकली 84 कोसी परिक्रमा में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज और उपाध्यक्ष चंपत राय भी शामिल हुए.
  • 84 कोसी परिक्रमा अयोध्या, बस्ती, अंबेडकरनगर, बाराबंकी और गोंडा जिलो के मार्ग से होते हुए निकलेगी.
  • 84 कोसी परिक्रमा 19 अप्रैल से 10 मई तक चलेगी.

क्या बोले केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज

  • विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने कहा कि 84 कोसी परिक्रमा प्रतिवर्ष निकलती है.
  • जिसमें लगभग 300 लोग शामिल होते हैं.
  • प्रदेश सरकार से मांग है पौराणिक महत्व के स्थलों का संरक्षण करें.
  • साथ ही देवस्थान संरक्षण कानून बनाकर स्थान को सरंक्षित किया जाए.
  • परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी आग्रह किया है कि 84 कोसी परिक्रमा मार्ग परिक्रमा करने वालों के लिए उचित व्यवस्था कराई जाए.

14 कोसी राम जी के वनवास के श्राप को दूर करने के लिए, संपूर्ण मानव समाज की हित के लिए और अपने जीवन कल्याण के लिए यह परिक्रमा करते हैं. 84 कोसी परिक्रमा 84 लाख योनि में भटकने से दूर होने के लिए और अपने कल्याण के लिए लोग परिक्रमा करते हैं. यह विभिन्न मार्गो से होकर मनोरमा मसरत क्षेत्र जो बस्ती जिला पड़ता है, वहां से प्रारंभ और वहीं पर समाप्त होता है. इस परिक्रमा के करने से मन की शांति मिलती है और संतपुरियों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

अयोध्या के रहने वाले विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता धनुषधारी शुक्ला ने 84 कोसी महत्वता को बताते हुए कहा कि मोक्ष दायिनी संत पुरियों में अपना प्रथम स्थान रखने वाला है. जिसका प्रतिवर्ष में तीन परिक्रमा होता है. कार्तिक में 14 कोसी, प्रत्येक एकादशी को पंचकोशी और चैत्र में हनुमान जयंती के दिन प्रारंभ होने वाला 84 कोसी परिक्रमा वैशाख में पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है.


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