भदोही :जिले में एक प्राध्यापक ने सरकारी स्कूल का कायापलट कर दिया है. उन्होंने अपने वेतन से बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए स्मार्ट क्लास बनवाई है. इससे बच्चे अब प्रोजेक्टर के जरिए स्मार्ट क्लास में पढ़ेंगे. प्राध्यापक की इस पहल से बच्चों के परिजनों में खासा उत्साह है.
स्मार्ट स्कूल में पढ़ाते शिक्षक.
जिला प्रशासन की तरफ से भी इस पहल की बहुत तारीफें हुई हैं. इस सफल प्रयोग के बाद भदोही में 13 से अधिक ऐसे सरकारी स्कूल हैं जिनमें स्मार्ट क्लासेस के जरिए बच्चों को पढ़ाया जाता है. प्राध्यापक अरविंद पाल ने लगभग 35 हजार खर्च में इस काम को पूरा किया. अरविंद का कहना है कि बहुत सारी चीजें ऐसी होती हैं जो बच्चे पढ़कर नहीं समझ सकते. वह दृश्य और आवाज के माध्यम से आसानी से और जल्द समझ लेते हैं.
प्राध्यापक अरविंद पाल के इस स्मार्ट क्लास को शुरू करने के बाद अगल-बगल गांव के भी बच्चे उस स्कूल में पढ़ने के लिए आने लगे. वहां का यह स्कूल आसपास के लोगों में सदैव चर्चा का विषय बना रहता है. वहां के प्राइवेट स्कूल भी इस सरकारी स्कूल की बराबरी नहीं कर पाते हैं. स्मार्ट क्लास ही नहीं बल्कि यहां की साफ-सफाई और व्यवस्थाओं को देख कोई भी यह नहीं कह सकता किया एक सरकारी स्कूल है.
प्राध्यापक ने सरकारी स्कूल का कायापलट किया
इस पहल के लिए प्राथमिक स्कूल परिषद ने साल 2014 में अरविंद पाल को बेस्ट टीचर का अवार्ड दिया. 2016 में इन्हें 'यूनो इनोवेटिव टीचर' के अवार्ड से भी नवाजा गया. जिला और मंडल स्तर पर भी इन्हें कई पुरस्कार मिले हैं. उन्होंने अपने पैसे से पूरे विद्यालय रिसर में पौधारोपण कराया है. बिजली न रहने पर स्मार्ट क्लास संचालन में परेशानी न हो इसके लिए उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में इनवर्टर भी रखा है.
इस स्कूल में बच्चों को संसदीय प्रणाली की जानकारी और स्कूल की व्यवस्था को अच्छा रखने के लिए संसद स्कूल का गठन किया गया है. इसमें स्कूल के बच्चों को मंत्री बनाकर उन्हें जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने अपने स्कूल में लाइब्रेरी का भी निर्माण कराया है. बच्चे अच्छी तरह से पढ़ें इसके लिए उन्होंने बच्चों को तीन वर्गों में बांटा है. वे बच्चों के लिए अलग से एक्स्ट्रा क्लास भी चलाते हैं ताकि कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा सके.