रायबरेली: लोकसभा चुनाव में इस बार मोदी की आंधी में कई दिग्गज नेता धराशायी हो गए. दशकों से कांग्रेस का गढ़ रही अमेठी सीट पर बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने सेंध लगाकर यह साबित कर दिया कि गांधी परिवार अब अजेय नहीं रहा. वहीं रायबरेली में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह से जिस तरह सोनिया गांधी को टक्कर मिली उससे कयास लगाए जाने लगे हैं कि आने वाले समय में रायबरेली में भी कमल खिल सकता है.
रायबरेली में हुई कांटे की टक्कर, हारते-हारते बचीं सोनिया गांधी
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस एकमात्र सीट जीतने में कामयाब रही है. रायबरेली से यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने लगातार पांचवीं बार जीत का परचम लहराया है. हांलाकि सोनिया गांधी को बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह से कड़ी टक्कर मिली. सोनिया गांधी हारते-हारते इस चुनाव को जीतने में सफल हुईं. दिनेश प्रताप सिंह ने 3 लाख से ज्यादा वोट हासिल करके यह दिखा दिया है कि भविष्य में कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली रायबरेली सीट में भी सेंध लग सकती है.
दिनेश प्रताप सिंह कभी गांधी परिवार के बेहद करीबियों में गिने जाने थे. इन्हें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में लाने के लिए खुद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह रायबरेली आए थे. तभी से यह कयास लगाया जा रहा था कि यूपीए चेयरपर्सन के खिलाफ लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा जा सकता है.
23 मई के आए परिणामों ने भाजपा का यह दांव काफी काफी हद तक सटीक रहा. दिनेश प्रताप सिंह भले ही चुनाव में जीत न दर्ज कर सके हों, लेकिन उन्होंने सोनिया को कड़ी टक्कर दी और उनके जीत के अंतर को जरूर कम किया है.