लखनऊ : बीजेपी नेतृत्व पार्टी नेताओं के दावेदारों के समर्थन में हो रही गुटबाजी की वजह से उम्मीदवारों के एलान में पीछे होता जा रहा है. जिसके चलते कई ऐसी सीटें हैं जहां पर प्रत्याशियों का नाम अब तक नहीं घोषित किया गया है. वहीं कई सीटों पर बीजेपी के साथी दल निषाद पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चलते प्रत्याशियों का चयन नहीं हो पा रहा है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट गोरखपुर को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी का सामना बीजेपी नेतृत्व को उम्मीदवार के एलान में करना पड़ रहा है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है जो उपचुनाव में बीजेपी ने हार का सामना किया. वहीं निषाद पार्टी का बीजेपी से गठबंधन हो गया है तो गोरखपुर से उप चुनाव जीते प्रवीण निषाद भी भाजपा में शामिल हो गए हैं.
बीजेपी नेतृत्व का कहना है कि गोरखपुर में पार्टी प्रवीण निषाद के बजाए अपने किसी नेता को चुनाव मैदान में उतारेगी. जिसको लेकर निषाद पार्टी से आए प्रवीण निषाद को रास नहीं आ रहा है. बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व प्रवीण निषाद को भदोही सीट से चुनाव लड़ाने के मूड में है. इसके अलावा गोरखपुर सीट पर बीजेपी नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पसंद पिपराइच से बीजेपी के ही विधायक महेंद्र पाल को चुनाव मैदान में उतारना चाहती है.
वहीं कुछ सूत्रों का यह भी दावा है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ाने की बात कह रहा है हालांकि योगी आदित्यनाथ लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के मूड में है.
इसके अलावा उप चुनाव लड़ चुके उपेंद्र शुक्ला भी दावेदार बताए जा रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ विधायक डॉ राधामोहन दास अग्रवाल भी प्रमुख दावेदारों में बताए जा रहे हैं. इसके अलावा देवरिया लोकसभा सीट से सांसद रहे केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र अब चुनाव नहीं लड़ेंगे, उनकी उम्र 75 वर्ष होने के कारण वह चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे.
कलराज मिश्र के चुनाव नहीं लड़ने के बाद देवरिया सीट पर कौन बेहतर उम्मीदवार होगा, इसको लेकर बीजेपी नेतृत्व फैसला नहीं कर पा रही है. इसके पीछे की वजह वहां के स्थानीय समीकरण और जाति समीकरण बताए जा रहे हैं. मुख्य रूप से जिन लोगों का यहां से चुनाव लड़ने में नाम आ रहा है उनमें मीडिया से बीजेपी में शामिल हुए प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी का नाम प्रमुख रूप से चर्चा में है, योगी सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही के साथ ही प्रकाश मणि त्रिपाठी का नाम चर्चा में है.
इसके अलावा कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी को भी यहां से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है. हालांकि रमापति राम त्रिपाठी को गोरखपुर से भी चुनाव लड़ाने की बात कही जा रही है.
इसके अलावा संत कबीर नगर के सांसद शरद त्रिपाठी और विधायक राकेश सिंह बघेल के बीच हुए जूता कांड के बाद भी पार्टी संत कबीर नगर में उम्मीदवार का एलान नहीं कर पा रही है. पार्टी यह नहीं तय कर पा रही कि शरद को चुनाव मैदान में उतारा जाए या फिर उनके पिता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी को किसी दूसरी सीट से चुनाव लड़ाया जाए.
दूसरी तरफ घोसी लोकसभा सीट पर बीजेपी योगी सरकार के मंत्री व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को चुनाव लड़ाने की बात कर रही है, हालांकि राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर या अरुण राजभर को चुनाव लड़ना चाहते हैं, जो बीजेपी को रास नहीं आ रहा है. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि राजभर समाज में ओमप्रकाश राजभर की अच्छी पैठ है, ऐसे में मंत्री राजभर ही चुनाव लड़ें.
इसके अलावा प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर पिछली बार अपना दल से कुंवर हरिवंश सिंह चुनाव जीते थे. इस बार यह सीट अपना दल के खाते में नहीं गई और बीजेपी को यहां अपना उम्मीदवार घोषित करना है. अब देखना यह है कि इस सीट पर बीजेपी सांसद हरिवंश सिंह को टिकट देती है या फिर अन्य किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ाती है. प्रतापगढ़ सीट पर योगी सरकार के मंत्री मोती सिंह का नाम भी चर्चा में है, हालांकि मोती सिंह अपने बेटे को चुनाव लड़ाने की पैरवी कर रहे हैं.
वहीं अंबेडकर नगर सीट पर भी दावेदारों का एलान करने में पार्टी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां भी कई उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए अपने नेताओं के संपर्क में है. स्थानीय सांसद हरिओम पांडे भी दोबारा चुनाव मैदान में उतारने के लिए बेताब हैं. यूपी भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने बताया कि पार्टी का संसदीय बोर्ड उम्मीदवारों के चयन के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. कई सीटों पर बातचीत भी हुई है. पार्टी नेतृत्व जल्द ही सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान कर देगा.