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शासन प्रशासन की अनदेखी का शिकार होता उदयपुर का गुलाब बाग, आम जनता के साथ पर्यटक भी हो रहे परेशान - pathetic condition

झीलों की नगरी उदयपुर में हरियाली और खुशहाली का परिचायक बन चुका गुलाब बाग इन दिनों शासन प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रहा है. आम नागरिकों के साथ ही पर्यटक भी यहां अब खासे परेशान हो रहे हैं.

udaipur gulab park pathetic condition, बदतर हालात में उदयपुर का गुलाब बाग

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Published : Oct 18, 2019, 4:35 PM IST

उदयपुर. जिले में सार्वजनिक स्थानों और पार्क को और ज्यादा स्मार्ट बनाने के लिए नगर निगम ने साल भर में करोड़ों रुपयें खर्च कर दिये बावजूद इसके, पार्कों की हालात बूरे है. विकास के दावों और हकीकत के फर्क को शहर के प्रमुख गुलाबबाग देखने पर सभी दावे खोखले साबित होते हैं. इस पार्क को राजा रजवाड़ों के वक्त उदयपुर में बनाया गया था.

गुलाब पार्क का मुख्य द्वार

यह गुलाब बाग पार्क शहर के सबसे बड़े खूबसूरत पार्क के रूप में जाना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से निगम के ध्यान नहीं देने से गुलाब बाग के कई पार्क बेहद खस्ताहाल में हैं. बर्ड पार्क के सामने बना हाथीवाला पार्क यूं तो स्थानीय लोगों के साथ गुलाब बाग में आने वाले पयर्टकों के लिए पसंदीदा पार्क माना जाता है, लेकिन अब शहर की सरकार के ढुलमुल रवैये के चलते यह ऐतिहासिक जगह अब पर्यटकों के साथ शहरवासियों को भी निराश कर रहा है.

शासन प्रशासन की अनदेखी का शिकार होता उदयपुर का गुलाब बाग

विकास के नाम पर दर्जनों पेड़ काटे गए, लेकिन पार्क में पेड़ों को बढ़ाने पर किसी ने ध्यान दिया. इस वजह से पार्क से हरियाली गायब होने लगी है. एक समय में पूरा हरा-भरा दिखने वाला यह पार्क अब अपनी हरियाली को खो रहा है. गुलाब बाग में सार्वजनिक सुविधाओं के नाम पर 3 शौचालय भी बनाए गए, जहां सिर्फ ताले लटके नजर आते हैं.

बदहाल स्थिति में पार्क के झूला

झीलों की नगरी उदयपुर के गुलाब बाग के मुख्य दरवाजे से जब आप अंदर की ओर आते हैं तो आपको आकर्षित करने के लिए शानदार फव्वारा जरूर यहां पर नजर आएगा, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह फव्वारा अब नाम मात्र का बनकर रह गया है.

साफ सफाई के अभाव में शहर का गुलाब पार्क

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यही नहीं, पार्क की स्थिति और भी ज्यादा दयनीय है. बच्चों के लिए लगाए गए झूले जो अब पूरी तरह से टूट चुके हैं. पूरे गार्डन में फैली जंगली घास गुलाब बाग की खूबसूरती को खराब कर रही है. यहां पहुंचे कई पर्यटकों से हमने बात की तो वह भी नगर निगम के दावे और हकीकत के इस अन्तर को देखकर जिम्मेदारों को कोसते ही नजर आए.

पार्क घूमने आये पर्यटक और स्थानीय

बता दें कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ पर्यटक ही यहां की खस्ताहाल स्थितियों पर निगम बोर्ड को जिम्मेदार मान रहे हैं, बल्कि यहां दशकों से रोजाना मॉर्निंग वॉक पर आने वाले लोग भी कई बार इस महत्वपूर्ण पार्क को विकसित करने के लिए जिम्मेदारों को बता चुके हैं. लेकिन, सबने इसे हल्के में लेकर छोड़ दिया.

स्थानीय लोग भी चुनावी चौसर के बीच बाग के थोड़े विकसित होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. बता दें कि नगर निगम का करीब 10 फीसदी बजट उद्यानों के विकास और हरियाली के नाम पर अलग से दिया जाता है. लेकिन गुलाब बाग की यह खस्ताहाल तस्वीर उस बड़े बजट के होने और विकास के दावों पर पानी फेरती जरूर नजर आती है. लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि चुनावी मौसम में दोनों ही राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में गुलाब बाग का विकास सिर्फ घोषणओं में ही नहीं, बल्कि धरातल पर विकसित होता भी नजर आये.

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