उदयपुर.टाइगर टी-104 की मौत के मामले में वन विभाग के अधिकारियों पर सवाल उठने लगे हैं. रणथंभौर से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 5 घंटे के भीतर उसकी मौत हो जाने पर कई सवाल उठ रहे हैं. अब राजसमंद से भाजपा सांसद दीया कुमारी ने ट्वीट करते हुए पूरे मामले पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है. दीया कुमारी ने ट्वीट किया कि रणथंभौर में विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण एक सप्ताह के अन्दर एक और बाघ का निधन दु:खद है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे हादसों को रोकने और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय नहीं अपनाए जा रहे हैं. राज्य सरकार से मांग किया कि बाघों के संरक्षण पर विचार करें, लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हों.
वन विभाग के अधिकारियों पर उठ रहे सवाल...
रणथंभौर से उदयपुर लाने के कुछ घंटों बाद ही टाइगर की मौत होने का मामला अब वन विभाग की गले की फांस बन गया है. रणथंभौर में टाइगर को ट्रेंकुलाइज करने के लिए उसे 4 बार बेहोश करने वाली दवा दी गई. टाइगर को ओवरडोज देने की बात भी सामने आ रही है. हालांकि वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का खुलासा हो पाएगा. लेकिन टाइगर की मौत हो जाने के बाद भी सुबह तक वन विभाग के अधिकारियों को इसका पता नहीं चल पाया. इसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
कार्रवाई की उठी मांग...
रणथंभौर से उदयपुर के सज्जनगढ़ वन्य जीव अभयारण्य में शिफ्ट करने के अगले दिन बाघ टी-104 की मृत्यु पर वन्य जीव प्रेमियों ने दुःख जताया है. राजसिको के चेयरमैन और राज्य मंत्री राजीव अरोड़ा ने इस घटना पर वन विभाग और संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है. राजीव अरोड़ा ने कहा कि बाघ टी-104 की मृत्यु की खबर अत्यंत दुःखद है. भीषण गर्मी में बाघ को दिन के समय अपने स्थान से करीब 700 किलोमीटर दूर बंद गाड़ी से शिफ्ट करने में लापरवाही की गई. उसे अधिक मात्रा में ट्रेंकुलाइज करने की सच्चाई की जांच किया जाना भी आवश्यक है. प्रारंभिक रूप में यह संबंधित विभाग और अधिकारियों की असंवेदनशीलता व लापरवाही को दर्शाता है. अरोड़ा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी से आग्रह किया कि इस अति संवेदनशील विषय पर संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें.