टोंक. देशभर में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. ऐसे में हर पार्टी अपना-अपना गणित भिड़ाने में लगी हुई है. सभी अपने-अपने स्तर से जिताऊ उम्मीदवारों का चयन कर सीट अपनी झोली में डालना चाह रहे हैं. ऐसे में आज हम टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट की बात करेंगे की यहां की दशा-दिशा क्या है?
दरअसल, टोंक-सवाईमाधोपुर से बागी या निर्दलीय उम्मीदवार की बात करें तो यहां पर अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें पार्टी के प्रत्याशी ही जीतते आए हैं. अब तक के चुनाव में बागी या निर्दलीय उम्मीदवार नहीं जिते हैं. हालांकि, किसी भी पार्टी के खिलाफ अभी तक कोई बागी खड़ा ही नहीं हुआ है.
टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसभा के अंदर आने वाली 8 विधानसभाओं की बात करें तो, टोंक विधानसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य है. वहीं, देवली उनियारा में गुर्जर और मीना वोटर निणार्यक हैं, निवाई में अनुसूचित जाति के लोगों का बाहुल्य है, मालपुरा में जाट और गुर्जर वोटर अधिक हैं, सवाईमाधोपुर में मीना और मुस्लिम बाहुल्य हैं, खंडार में अनुसूचित जाति बाहुल्य है, गंगापुर सिटी में मीना और एसीसी बाहुल्य हैं, वहीं, बामनवास में मीना वोटर निणार्यक हैं.
उधर, टोंक विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां पर बीजेपी या कांग्रेस दोनों ने ही हमेशा बाहरी प्रत्याशियों पर दांव खेला है. साल 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से नमो नारायण मीणा को प्रत्याशी घोषित किया गया था जो कि सवाई माधोपुर जिले के बामनवास के निवासी हैं जबकि भाजपा ने बाहरी प्रत्याशी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को चुनाव मैदान में उतारा था.
वहीं, साल 2014 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने 2014 में टोंक सवाई माधोपुर से अजहरूद्दीन को टिकट दिया था तो वहीं, भाजपा ने भी बाहरी प्रत्याशी सुखबीर सिंह जौनपुरिया को मैदान में उतारा था. लेकिन, पैराशूट प्रत्याशियों की इस मुकाबले में सुखबीर सिंह जौनापुरिया कांग्रेस पर भारी पड़े थे. इस चुनाव में जौनापुरिया ने 135506 वोट से जीत दर्ज की थी.
बात बागियों की करें तो टोंक सवाई माधोपुर विधानसभा में अब तक कोई भी बागी खड़ा नहीं हुआ और ना ही कोई नेता पुत्र. बता दें, इस बार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत का टोंक-सवाई माधोपुर सीट से चुनाव लड़ने के नाम की चर्चा है. जबकि, दूसरा नाम कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला का नाम चर्चा में है.