श्रीगंगानगर. महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और स्नेचिंग की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती हैं. श्रीगंगानगर जिले के सरकारी दफ्तरों में काम करने वाली और घरेलू कामकाजी महिलाओं ने अब ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने और दूसरी महिलाओं की रक्षा करने के लिए आत्मरक्षा के गुर सीखना शुरू कर दिया है. ऐसी महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा करने और खुद की रक्षा करने के लिए इन्हें आत्मरक्षा के गुर देने का बीड़ा प्रधानाचार्य रूबी चौधरी ने उठाया है.
महिलाएं कराटे और ताइक्वांडो से मनचलों को सिखाएंगी सबक... कराटे और ताइक्वांडो का प्रशिक्षण...
शहीद सुभाष राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नंबर 9 में अब ऐसी महिलाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देकर इन्हें ना केवल खुद की रक्षा करने के लिए मजबूत किया जा रहा है, बल्कि दूसरी पीड़ित महिलाओं और लड़कियों की रक्षा करने के लिए भी उत्साहित किया जा रहा है. यहां दो ट्रेनर द्वारा 19 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ट्रेनिंग लेने वाली ये सभी महिलाएं शिक्षा विभाग और दूसरे सरकारी दफ्तरों में सरकारी सेवा में कार्यरत हैं. इस दौरान मास्क और फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है. इन महिला शिक्षिकाओं को कराटे और ताइक्वांडो का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
कराटे और ताइक्वांडो की ट्रेनिंग देती हुई महिला ट्रेनर... महिला ट्रेनर जसलीन कौर बताती है कि महिला शिक्षिका और बालिकाएं इन तकनीकों का इस्तेमाल कर खुद को किसी भी विपरीत परिस्थिति में बचा सकती है. विद्यालय की प्रधानाचार्य रूबी चौधरी बताती हैं कि प्रशिक्षण देने का उद्देश्य ही महिलाओं को आत्मरक्षित करना है. ऐसे में ट्रेनिंग के लिए आ रही महिलाओं को सेल्फ डिफेंस के साथ-साथ कार्यस्थल पर अचानक आग लगने जेसी घटनाओं पर काबू पाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है ताकी ऐसी परिस्थितियों का भी मुकाबला कर सकें. ट्रेनिंग के दौरान दांव आजमाती दो महिलाएं... खुद को ही हथियार के जैसे बनाने की ट्रेनिंग...
उन्होंने बताया कि आत्मरक्षा के गुर सीख कर हर लड़की अपने आप को बचा सके उनका ये मकसद है. ट्रेनर जसलीन कौर और कुलवीर कौर बताती हैं कि जिस तरह लड़कियों के साथ सरेआम छेड़छाड़ और दुष्कर्म जैसी घटनाएं होती हैं उसे देखते हुए अब लड़कियां खुद भी मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत हो रही हैं. ट्रेनिंग के दौरान शिक्षिकाओं को चाकू के वार से बचने, हाथापाई और अपने डिफेंस में हमला करने की तकनीक सिखाई जाती है. साथ ही लड़कियों को गले पर वार करना, आंखों पर वार करना, कमर पर वार करना, अपने दुपट्टे को हथियार बनाना. अगर कोई पीछे से पकड़े, अगर कोई हाथ की कलाई को पकड़ता है ऐसी तमाम परिस्थियों से निपटने के लिए तैयार किया जाता है.
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शिविर प्रभारी दिनेश कुमार ने बताया कि सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग से महिला शिक्षिकाओं के आत्मविश्वास में काफी बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि यह महिला शिक्षिकाएं अब खुद को बुरी नजर रखने वाले से सुरक्षित महसूस करती हैं, क्योंकि सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग के बाद उन्हें लग रहा है कि वह अपनी सुरक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम हैं. सेल्फ डिफेंस की तकनीक ना केवल हमारे बचाव में कारगर है, बल्कि यह हमारे आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है. हर महिला को इसे सीखना चाहिए.
छात्राओं और महिलाओं में आत्मविश्वास...
राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात भागवंती ने 2014 से लेकर अब तक स्कूलों और कॉलेजों में करीब 17000 छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए हैं. भागवंती बताती है कि जब तक छात्राएं खुद की रक्षा नहीं कर पाएंगी तब तक अत्याचार से नहीं बच सकेंगी. इनकी मानें तो छात्राओं और महिलाओं द्वारा खुद में आत्मविश्वास और ऊंची आवाज में बात करना ही सामने वाले को मानसिक दबाव में ले आता है. ऐसे में भीड़भाड़ वाली जगहों पर छोटी-मोटी घटनाओं से निपटने के लिए दिए जा रहे आत्मरक्षा के गुर काफी कारगर साबित हो सकते हैं.