श्रीगंगानगर. प्रदेश में श्रीगंगानगर जिले के बार एसोसिएशन की ओर से एक ऐसी लाइब्रेरी बनाई गई है. जहां सिर्फ कानून की किताबें मौजूद हैं. लाइब्रेरी में रखी किताबों के अतीत के पन्नों को पलटकर अध्ययन किया जाए तो उनमें से ढेर सारी जानकारियां हासिल हो जाएंगी. यह लाइब्रेरी वकीलों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. लाइब्रेरी में आजादी से पहले की भी किताबें मौजूद हैं.
कोरोना संक्रमण के दौर में जब लॉकडाउन लगा और अदालतें बंद हुई, तो बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय रेवाड़, सचिव पंकज ऊपवेजा ने मिलकर लाइब्रेरी में कुछ नया करना चाहा, फिर क्या था 2 महीने की मेहनत ने लाइब्रेरी को आधुनिकता का रूप दे दिया. करीब 20 हजार किताबों वाली इस लाइब्रेरी में आजादी से पहले के कानून की किताबें हैं. अब लाइब्रेरी में सभी किताबों को अल्फाबेटिक तरीके से सजाया है, ताकि जरूरत की किताब आसानी से ढूंढी जा सके.
60 के दशक में रखी गई थी नींव
बार एसोसिएशन सचिव पंकज ऊपवेजा बताते हैं कि 60 के दशक में लाइब्रेरी की नींव रखी गई थी. सीनियर एडवोकेट मनीराम की याद में उनके परिवार ने बड़ी संख्या में कानून की किताबें बार एसोसिएशन को गिफ्ट कर दी थी. उसके बाद लाइब्रेरी में जितने भी सीनियर एडवोकेट रहे हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे, उनके परिवारो ने भी लाइब्रेरी को किताबें दी हैं. जिनके सहयोग से इतनी बड़ी लाइब्रेरी आज बन चुकी है.
अल्फाबेटिक तरीके से जमाई गई हैं किताबें
बार एसोसिएशन की तरफ से भी लाइब्रेरी में किताबें खरीदी जाती हैं. लाइब्रेरी में सबसे अच्छी बात यह है कि इसको सुव्यवस्थित तरीके से सजाया गया है. हर सब्जेक्ट की बुक एक दिशा में एक अल्फाबेटिक तरीके से रखी गई है, ताकि वकीलों को पढ़ने के लिए किताबों को ढूंढ़ना ना पड़े.
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बार एसोसिएशन सचिव पंकज बताते हैं कि एक तरफ क्रिमिनल, एक तरफ सिविल, हिंदू लॉ, मुस्लिम लॉ आदि अलग-अलग सब्जेक्ट से संबंधित किताबें सजी हुई हैं. उनकी मानें तो बारकोडिंग करने की तैयारी भी बार एसोसिएशन द्वारा की जा रही है, ताकि कोई अधिवक्ता उस किताब को एक या 2 दिन के लिए घर पर ले जाना चाहता है, तो ले जा कर पढ़ाई कर सकें. हार्ड डिस्क में पिछले 60 सालों का डाटा लेकर भी उसको कंप्यूटर पर अवेलेबल करवाया जाएगा, ताकि मैनुअल के साथ कंप्यूटर पर भी पढ़ाई की जा सके.