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SPECIAL: कानून का भंडार है 2,000 किताबों वाली यह लाइब्रेरी, इंटरनेट में भी नहीं मिलेगा ऐसा ज्ञान - rajasthan hindi news

श्रीगंगानगर के बार एसोसिएशन में बनी लाइब्रेरी में रखी कानून की किताबें अब तक न जाने कितने लोगों को न्याय दिला चुकी हैं. लाइब्रेरी में रखी किताबों के अतीत के पन्नों को पलटकर अध्ययन किया जाए तो उनमें से ढेर सारी जानकारियां हासिल हो जाएंगी. कानून के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले युवा अधिवक्ताओं को इस लाइब्रेरी से जो ज्ञान हासिल हो सकता है, वह इंटरनेट और सोशल मीडिया पर भी नहीं मिलेगा.

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कानून का भंडार है 2,000 किताबों वाली यह लाइब्रेरी

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Published : Aug 30, 2020, 5:21 PM IST

श्रीगंगानगर. प्रदेश में श्रीगंगानगर जिले के बार एसोसिएशन की ओर से एक ऐसी लाइब्रेरी बनाई गई है. जहां सिर्फ कानून की किताबें मौजूद हैं. लाइब्रेरी में रखी किताबों के अतीत के पन्नों को पलटकर अध्ययन किया जाए तो उनमें से ढेर सारी जानकारियां हासिल हो जाएंगी. यह लाइब्रेरी वकीलों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. लाइब्रेरी में आजादी से पहले की भी किताबें मौजूद हैं.

कोरोना संक्रमण के दौर में जब लॉकडाउन लगा और अदालतें बंद हुई, तो बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय रेवाड़, सचिव पंकज ऊपवेजा ने मिलकर लाइब्रेरी में कुछ नया करना चाहा, फिर क्या था 2 महीने की मेहनत ने लाइब्रेरी को आधुनिकता का रूप दे दिया. करीब 20 हजार किताबों वाली इस लाइब्रेरी में आजादी से पहले के कानून की किताबें हैं. अब लाइब्रेरी में सभी किताबों को अल्फाबेटिक तरीके से सजाया है, ताकि जरूरत की किताब आसानी से ढूंढी जा सके.

कानून का भंडार है 2,000 किताबों वाली यह लाइब्रेरी

60 के दशक में रखी गई थी नींव

बार एसोसिएशन सचिव पंकज ऊपवेजा बताते हैं कि 60 के दशक में लाइब्रेरी की नींव रखी गई थी. सीनियर एडवोकेट मनीराम की याद में उनके परिवार ने बड़ी संख्या में कानून की किताबें बार एसोसिएशन को गिफ्ट कर दी थी. उसके बाद लाइब्रेरी में जितने भी सीनियर एडवोकेट रहे हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे, उनके परिवारो ने भी लाइब्रेरी को किताबें दी हैं. जिनके सहयोग से इतनी बड़ी लाइब्रेरी आज बन चुकी है.

अल्फाबेटिक तरीके से जमाई गई हैं किताबें

बार एसोसिएशन की तरफ से भी लाइब्रेरी में किताबें खरीदी जाती हैं. लाइब्रेरी में सबसे अच्छी बात यह है कि इसको सुव्यवस्थित तरीके से सजाया गया है. हर सब्जेक्ट की बुक एक दिशा में एक अल्फाबेटिक तरीके से रखी गई है, ताकि वकीलों को पढ़ने के लिए किताबों को ढूंढ़ना ना पड़े.

लाइब्रेरी में किताबें पढ़ते वकील

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बार एसोसिएशन सचिव पंकज बताते हैं कि एक तरफ क्रिमिनल, एक तरफ सिविल, हिंदू लॉ, मुस्लिम लॉ आदि अलग-अलग सब्जेक्ट से संबंधित किताबें सजी हुई हैं. उनकी मानें तो बारकोडिंग करने की तैयारी भी बार एसोसिएशन द्वारा की जा रही है, ताकि कोई अधिवक्ता उस किताब को एक या 2 दिन के लिए घर पर ले जाना चाहता है, तो ले जा कर पढ़ाई कर सकें. हार्ड डिस्क में पिछले 60 सालों का डाटा लेकर भी उसको कंप्यूटर पर अवेलेबल करवाया जाएगा, ताकि मैनुअल के साथ कंप्यूटर पर भी पढ़ाई की जा सके.

वकीलों के लिए फायदेमंद

सीनियर अधिवक्ता कहते हैं कि यह लाइब्रेरी वकीलों के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में किताबें एक साथ खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं है. ऐसे में अगर इस लाइब्रेरी में अधिवक्ता अध्ययन करें, तो कानून के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे. साथ ही वे न्यायिक सेवा की तैयारी भी कर सकते हैं.

कानून का भंडार है यह लाइब्रेरी

आजादी से पहले की भी किताब उपलब्ध

सरकारी वकील कहते हैं कि इस लाइब्रेरी में सबसे पुरानी किताब आजादी से पहले की उपलब्ध है. लाइब्रेरी में आजादी से पहले की किताब आईआर है. वहीं रेवेन्यू से संबंधित तमाम प्रकार की किताबें इस लाइब्रेरी में रखी हुई हैं. जिससे नए अधिवक्ताओं को फायदा मिल सकता है.

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सीनियर अधिवक्ता कहते हैं कि युवा वकील इस लाइब्रेरी से इतना ज्ञान हासिल कर सकते हैं, जितनी उसमें कैपेसिटी हो. वे कहते हैं कि इंटरनेट के युग में किताबों का आज भी उतना ही महत्व है.

यहां हैं करीब 2000 किताबें

इंटरनेट में भी नहीं मिलेगा ऐसा ज्ञान

युवा अधिवक्ता विक्रम सिंह कहते हैं कि बाहर की इस लाइब्रेरी में जो किताबें हैं वह आज कहीं और नहीं मिलेगी. वे कहते हैं जमाना भले ही कंप्यूटर इंटरनेट का है, लेकिन जो ज्ञान किताबों में हैं, वह नेट पर नहीं मिल सकता है. इस लाइब्रेरी से पढ़ कर बहुत से अधिवक्ता आज न्यायिक सेवा में उच्च पदों पर पदस्थापित हैं, तो वहीं अधिकतर अधिवक्ताओं का कानून के क्षेत्र में बड़ा नाम है.

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