श्रीगंगानगर. जब माइनस डिग्री तापमान में हम अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं, तब वह दुश्मन की हर नापाक हरकत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बॉर्डर पर डटे होते हैं. जिससे हर भारतीय अपने घरों में चैन की नींद सो सकें. जब ये हमारी सुरक्षा में सीमा पर तैनात होते हैं तो परिंदा भी पांव नहीं मार सकता. जी हां, हम बात कर रहे हैं बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी सीमा पर दिन-रात हमारी सुरक्षा में मुस्तैद बीएसएफ की.
सीमा सुरक्षा बल का 55वां स्थापना दिवस सीमा सुरक्षा बल अपना 55वां स्थापना दिवस मना रहा है. ऐसे में बल के 55 वें स्थापना दिवस के मौके पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. 1965 में जिस पैरामिलिट्री फोर्स का गठन हुआ था. आज वह देश की नंबर वन पैरामिलिट्री फोर्स है. पिछले 54 साल में उसने सीमा पर जिस तरह से अपनी बहादुरी दिखाई है, उससे हर भारतीय इन पर गर्व करते हैं.
राजस्थान में पाकिस्तान से लगी सीमा पर सर्द रातों में रेत, जब बर्फ से भी ठंडी हो जाती है तो हमारे जांबाज सीमा पर दुश्मन की हर नापाक हरकत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहते हैं. वहीं गर्मियों में रेगिस्तान की यही रेत जब आग की तरह उबलती है, तब भी हमारे जांबाज सरहद पर नजरें गड़ाए रहते हैं. ताकि आप और हम सुरक्षित रह सके. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी सीमा सुरक्षा बल के प्रहरी इन विषम परिस्थितियों में भी मुस्तैद हैं, चौकस है, चौकन्ने है.
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राजस्थान के थार रेगिस्तान का यह वह इलाका है, जो पाकिस्तान से सटा है. जिसकी लंबाई करीब एक हजार किलोमीटर है. इस संवेदनशील सीमा की पहरेदारी में बीएसएफ के जवान रत्ती भर की भी कोताही नहीं करते हैं. ये वो इलाका है जहां जिंदगी बेहद मुश्किल है. गर्मियों में लू के थपेड़ों के साथ दोपहर का तापमान यहां 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो सर्दी की ठिठुरती ठंड में पारा माइनस में चला जाता है.
अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां बीएसएफ के जवानों का 24 घंटे तैनात रहना कितना कठिन होता होगा, लेकिन बीएसएफ के जवानों के आगे हर दिक्कते दम तोड़ती नजर आती है. श्रीगंगानगर जिले की 210 किलोमीटर लंबी सरहदी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी बीएसएफ को 1970 में सौंपी गई थी. तब से बीएसएफ बिना थके, बिना हारे यह जिम्मेदारी बखूबी निभाती आ रही है.
बीएसएफ का यहां सेक्टर और श्रीगंगानगर, रायसिंहनगर, श्रीकरणपुर और अनूपगढ़ में बटालियन मुख्यालय हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि चारों क्षेत्रों में अलग-अलग परिस्थितियां है. कोई चौकी जंगलों से गिरी है, तो कोई रेतीले धोरों से, कई चौकियां ऐसी है जिसमें बारिश के सीजन में पानी से भर जाती है. बीएसएफ बावजूद इनके पल-पल चौकन्नी रहकर सरहद की सुरक्षा में दिन-रात जुटी हुई है.
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बारिश के दिनों में जब चौकियां पानी से घिर जाती है, तो हमारे जवान मोटर बोट से सीमा की निगरानी करते हैं. सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी की बढ़ती घटनाओं और पाकिस्तान के नापाक इरादों के बीच राजस्थान की सीमांत जिलों में बीएसएफ का पहरा अब और सख्त हो चुका है.