सिरोही. मुंबई में 26 नवंबर 2008 को आतंकी हमला हुआ, जिससे पूरी मुंबई दहल उठी थी. आतंकी हमले में कई लोग मारे गए. जिसके बाद आतंकवादियों को काबू करने और फिर से अमन-चैन लौटाने के लिए मारकोस कमांडो की खास भूमिका रही. उसी कमांडो टीम का हिस्सा रहे हिम्मत सिंह राव मूल रूप से राजस्थान के सिरोही जिले के बसंतगढ़ के रहने वाले है. हिम्मत सिंह राव वर्तमान में उदयपुर जिले के झाडोल में प्रशिक्षु नायब तहसीलदार हैं.
सिरोही जिले के बसंतगढ़ निवासी हिम्मत सिंह राव 18 साल के थे तब 1999 में बतौर इंजीनियरिंग मैकेनिक भारतीय नेवी में शामिल हुए. कम समय में ही 2004 में वे सबसे जांबाज माने जाने वाले मारकोस कमांडो के लिए चयनित हुए और मार्कोस बने. उन्होंने कई तरह के कठिन प्रशिक्षणों के साथ स्नाइपर, माउंटेनियरिंग बेसिक और एडवांस की ट्रेनिंग भी ली.
साल 2014 में सेना से सेवानिवृत्ति के बाद दो साल उदयपुर में रहकर उन्होंने आरएएस की तैयारी की. जिसके बाद वो चित्तौड़ जिले के कपासन में बतौर आबकारी निरीक्षक के पद पर भी रहे. हिम्मत सिंह राव ने दोबारा आरएएस की परीक्षा दी जिसमें वो तहसीलदार सेवा के लिए चयनित हुए. हिम्मत सिंह की पत्नी हुकम कंवर भी तहसीलदार हैं.
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हिम्मत सिंह राव बताते हैं कि 26 नवंबर 2008 को रात में करीब 9.30 बजे थे. मारकोस कमांडो टीम के रूप में हमारी पोस्टिंग नवी मुंबई के पास आइलैंड में थी. अचानक टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज फ्लैश होती है कि मुंबई में फिर गैंगवार हुआ, जिसमें कई लोगों के मरने की खबर है. वहीं, कुछ देर बाद बता चला कि यह गैंगवार नहीं बल्कि आतंकी हमला है. गेट वे आफ इंडिया के पास लियो पार्ड केफे, होटल ताज, होटल ट्राइडेन्ट, सीएसटी और नरीमन हाउस इन जगहों पर आंतकियों ने अंधाधुंध फायरिंग के साथ कुछ जगहों पर लोगों को बंदी बना लिया है.
साथ ही हिम्मत सिंह बताते है कि खबर सुनते ही हम लोग अलर्ट हो गए क्योंकि ऐसे मामलों में अक्सर मारकोस को एप्रोच की जाती है. जिसके बाद 10 से 15 मिनट में काॅल आ भी गई. मैं तीसरी टीम का सदस्य था. जहां हमले हुए वह जगह दूर थी. हमारी टीम समुद्री रास्ते से वहां पहुंची और अलग-अलग बट गई. मार्कोस टीम दीवारों और पाइप के सहारे होटल ताज में घुसी. दो बार आंतकियों से सीधी मुठभेड़ होती है.