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Khatu Shyam Mela: सूरजगढ़ का निशान चढ़ने के साथ खाटू मेले का समापन, 371 साल से लाया जा रहा ध्वज

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Published : Mar 4, 2023, 4:38 PM IST

सीकर के खाटू में चल रहे बाबा श्याम का लक्खी मेला शनिवार को समाप्त हो गया. इस दिन सूरजगढ़ से पिछले 371 साल से लाया जा रहा निशान, शिखर पर लहराया गया.

Surajgarh nisaan hoisted on Khatu Shyam, Mela ends on March 4
Khatu Shyam Mela: सूरजगढ़ का निशान चढ़ने के साथ खाटू मेले का समापन, 371 साल से लाया जा रहा ध्वज

सीकर.खाटू नगरी में बाबा श्याम के फाल्गुनी लक्खी मेले का शनिवार को समापन हो गया. द्वादशी के दिन बाबा श्याम को खीर चूरमे सहित छप्पन भोग का विशेष भोग लगाया गया. इसके बाद मेले का समापन किया गया. द्वादशी के दिन श्याम दरबार में सूरजगढ़ की ओर से मंदिर के शिखर पर वर्षभर लहराने वाली धवजा चढ़ाई जाती है. सूरजगढ़ वालों का 372वां निशान बाबा के मंदिर में द्वादशी को सुबह 11:00 बजे चढ़ाया गया.

सूरजगढ़ का निशान ही बाबा के दरबार में साल भर शिखर पर लहराता है. गुना जिले के सूरजगढ़ शहर के ध्वज का इतिहास बड़ा निराला है. पिछले 371 साल से ये निशान लेकर सूरजगढ़ के करीब 10 से 15 हजार पदयात्री खाटूधाम पहुंचते हैं. निशान पदयात्रा में महिलाएं भी शामिल होती हैं जो अपने सिर पर सिगड़ी रखकर चलती है. इसी सिगड़ी में बाबा श्याम की जोत जलती रहती है. माना जाता है कि जो महिला अपने सिर पर सिगड़ी रखकर यात्रा करती है, उसकी प्रत्येक मनोकामना श्याम बाबा पूर्ण करते हैं.

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राजस्थान के सीकर जिले के खाटूश्यामजी में 22 फरवरी से शुरू हुए फाल्गुनी लक्खी मेले के समापन के दिन सुबह तेज हवाओं के साथ खाटू नगरी में हल्की बारिश हुई. हालांकि दोपहर तक आसमान साफ हो गया था. इससे भक्तों ने बेहिचक अपनी यात्रा पूर्ण कर दर्शन किए. बरसात के बावजूद नाचते गाते श्याम भक्तों ने बाबा का दीदार किया. भक्तों ने बाबा से सुख, शांति और समृद्धि के साथ अगले महीने आने की मनोकामनाएं मांगी. खुशहाली की मनोकामनाओं के साथ भक्त अपने घरों की ओर लौटने लगे.

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बता दें कि मेले से पहले खाटू श्याम मंदिर को कई दिनों तक बंद रखा गया था. इस दौरान यहां श्रद्धालुओं के दर्शनों को सुगम बनाने के लिए निर्माण कार्य चालू था. अब यहां श्रद्धालु चार लाइनों में दर्शनों के लिए जा सकते हैं. इससे न केवल भीड़ पर नियंत्रण आसान हो गया, बल्कि लाइनों में होने वाली भगदड़ से भी मुक्ति मिली है. अब भक्तों को दर्शन करने में भी समय कम लगता है.

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