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सवाई माधोपुर में नगर परिषद की जमीन पर अतिक्रमण, अधिकारियों ने दिखाई नरमी

सवाई माधोपुर में नगर परिषद के अतिक्रमण को लेकर कार्रवाई के दौरान पारदर्शिता को लेकर सवाल उठ रहे हैं. अधिकारियों की मिलीभगत के चलते कई नगर परिषद के कई जमीनों पर अवैध कब्जा हटाने को लेकर नरमी बरती गई है.

सवाईमाधोपुर में नगर परिषद की जमीन पर अतिक्रमण

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Published : May 29, 2019, 7:46 PM IST

सवाई माधोपुर. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान खानापूर्ति की गई है. नगर परिषद दस्ते की मिलीभगत के चलते कुछ अतिकर्मी को राहत दी गई. वहीं कई अन्य अतिक्रमण ध्वस्त किए गए. नगर प्रशासन की कार्रवाई को लेकर निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं.

दरअसल, सवाई माधोपुर शहर में बुधवार को नगर परिषद के अधिकारी अतिकर्मियों की मिलीभगत के चलते खानापूर्ति करते नजर आए. शहरवासियों ने सिंचाई विभाग के सामने निजी नर्सरी संचालकों द्वारा नगर परिषद की जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया है. बता दें कि निजी नर्सरी संचालकों द्वारा जगह का पैसा जमा नहीं कराने पर परिषद दस्ते बुधवार को निजी नर्सरियों को ध्वस्त करने पहुंचा. इस दौरान परिषद दस्ते ने एक नर्सरी को ध्वस्त कर समान जब्ती की कार्रवाई की. वहीं एक नरसी संचालक पर नरमी बरती गई. संचालक ने पैसा जमा कराने का भरोसा दिया तो अतिक्रमण हटाने आए अधिकारी थोड़े ठंडे हो गए और कोई कार्रवाई नहीं की गई.

सवाईमाधोपुर में नगर परिषद की जमीन पर अतिक्रमण

इस दौरान परिषद का जेसीबी चालक अधिकारियों के आदेश नहीं मिलने पर गाड़ी बंद कर बैठ गया. कार्रवाई की जानकारी मिलने के दौरान मौके पर अचानक मीडिया कर्मी पहुंच गए, जिन्हें देख हरकत में आए अधिकारियों ने तुरंत जेसीबी चालक को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए. नर्सरी संचालक ने अतिक्रमण नहीं हटाने की बात कहते हुए परिषद अधिकारियों से बात हो गई है, पैसा जमा करा दिया जाएगा. वहीं परिषद की आर ओ ने किसी की एक नहीं सुनी. कार्रवाई का नेतृत्व उनकी देखरेख में होने की बात कहते हुए अतिक्रमण ध्वस्त करवा दिया.

बता दें कि नगर परिषद द्वारा यदा-कदा अतिक्रमण पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन जहां वास्तविक अतिक्रमण है वहां कार्रवाई के लेकर पारदर्शिता नहीं बरती जाती. ऐसे स्थानों पर नगर परिषद अधिकारियों व कार्मिकों की मिलीभगत के चलते सरकारी जमीन पर काबिज होते हैं, जिसकी एवज में अधिकारी-कर्मचारी अतिक्रमी से आर्थिक लाभ प्राप्त करते हैं. जब अतिक्रमी द्वारा पैसा नहीं दिया जाता है तो परिषद अधिकारियों को कार्रवाई के नाम पर अतिक्रमण पर दबाव बनाते हैं. सांठगांठ नहीं होने पर अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया जाता है. नगर परिषद के अधिकारी और कर्मचारी पहले ही अपनी जमीन पर अतिक्रमण क्यों होने देते हैं. जिससे उन्हें बाद में कार्रवाई करनी पड़ेगी चलता है और लगातार अतिक्रमण हटाने का खेल चलता रहता है.

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