प्रतापगढ़. जिले में इन दिनों अफीम की फसल में डोडो से दूध संग्रहण का कार्य चल रहा है. वहीं कई खेतों में डोडो पर चीरा लगाने का कार्य अब शुरू हो रहा है. ऐसे में मौसम में एकाएक परिवर्तन हो गया है. तापमान में बढ़ोतरी हो गई है जिससे डोडो से अफीम दूध में कमी आने लगी है. जबकि कई खेतों में डोडे सूखने की समस्या भी शुरू हो गई है. इसके साथ ही अफीम की फसल में बीमारियों की आशंका बढ़ गई है. जिससे किसानों को अफीम की औसत पूरी करने की चिंता सताने लगी है. कांठल में इन दिनों अफीम किसान पशोपेश में है.
गौरतलब है कि जिले में अफीम की फसल से दूध संग्रहण का कार्य शुरू हो चुका है. छोटी सादड़ी इलाके में एक पखवाड़े से अफीम दूध संग्रहण किया जा रहा है. वहीं, प्रतापगढ़ और अरनोद इलाके में भी किसानों ने डोडो पर चीरा लगाया है. कई किसान अब चीरा लगा रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर तापमान में बढ़ोतरी हो गई है. जिससे डोडो पर दूध कम निकल रहा है. कई डोडो पर दूध सूख गया है. जबकि बीमारियों का प्रकोप भी होने लगा है. मौसम में परिवर्तन होने से अफीम की फसल में बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है. इसके चलते किसानों में चिंता भी बढ़ गई है. दिन में तेज धूप है, जबकि रात में पर्याप्त सर्दी नहीं होने से पौधों की वृद्घि प्रभावित हो रही है. इसके लिए किसान कई प्रकार के उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग कर रहे हैं. लेकिन फायदा नहीं हो रहा है.
मौसम में लगातार परिवर्तन होने से अफीम की फसलों पर बीमारियों को प्रकोप बढ़ रहा है. किसान इन फसलों की देखभाल करने के साथ ही महंगे कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं. किसानों का खर्च अधिक होने के बाद भी फसलों में बढ़वार नहीं हो रही है. मौसम की बेरुखी से किसानो को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही किसानों को फसलों को मवेशियों, पक्षियों आदि से बचाना भी लोहे के चने चबाने के समान रहता है.