नागौर. विश्व प्रसिद्ध नागौर का श्री रामदेव पशु मेला 25 जनवरी से शुरू हुआ था. ये मेला प्रदेश के 5 बड़े पशु मेले में से एक है. विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेले में नागौरी नस्ल के बैल और गाय पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. पिछले कई सालों से इसके अस्तित्व पर संकट आने पर अब नागौर जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक पशु मेले के गौरव को बचाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं.
नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने बताया कि इस मेले की पहचान मशहूर नागौरी नस्ल के बैलों से है. नागौरी नस्ल के बैल की खरीदारी के लिए प्रदेश के साथ-साथ देश के कई राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा से व्यापारी इस मेले में आते हैं.
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साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार व्यापारियों और पशुपालकों को मेले में आने से कोई परेशानी नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. मेला समाप्ति के बाद नागौरी नस्ल के बैलों और नागौरी नस्ल की गाय को खरीद कर वापस अपने स्थान तक ले जाने के लिए रेल सेवाओं के प्रयास और ट्रांसपोर्ट के जरिए रोड मार्ग से अपने-अपने इलाकों तक सुरक्षित नागौरी नस्ल के बैल और गाय को ले जा सकेंगे. इस बार मेले में नागौरी नस्ल के बैल, गोवंश, भैंस, ऊंट भी पहुंच रहे हैं.