मूंडवा (नागौर). कस्बे में एक निजी निर्माणाधीन सीमेंट संयंत्र प्लांट में वेतन की मांग को लेकर मजदूरों ने हंगामा किया था. जिसके बाद प्लांट में काम करने वाले मजदूरों को बिना न्यूनतम मजदूरी के बस और ट्रेनों से आनन-फानन में रवाना किया जाने लगा. जिस पर ईटीवी भारत ने प्रमुखता से खबर चलाई थी. जिसका असर हुआ और सीमेंट प्रबंधक को नागौर जिला प्रशासन ने अल्टीमेटम दिया और अब श्रमिकों के खातों में पैसा डाल दिया गया है.
निजी सीमेंट कंपनी ने किया श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान गौरतलब है कि बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, वेस्ट बंगाल, मध्य प्रदेश, पंजाब, केरेला, आसाम, महाराष्ट्र, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड के हजारों श्रमिक लॉकडाउन के बाद नागौर जिले के मूंडवा में निर्माणधीन सीमेंट प्लांट में फंसे हुए थे. 20 अप्रैल को नागौर जिला प्रशासन ने प्लांट के निर्माण की अनुमति दे दी थी. लेकिन 9 दिनों तक सीमेंट प्रबंधक की लापरवाही के चलते श्रमिकों को काम पर नहीं लगाया और न ही उनके खाने-रहने की व्यवस्था की गई. 29 अप्रैल को आखिरकार श्रमिकों ने तोड़फोड़ करते हुए हंगामा शुरू कर दिया था.
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जिसके बाद नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव के निर्देश पर सीनियर RAS अधिकारी धर्मपाल सिंह के नेतृत्व में श्रम विभाग के दो अधिकारियों के साथ सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों की टीम बनाई गई. श्रमिकों से वार्ता करके अप्रैल माह का भुगतान कर दिया गया. जबकि लॉकडाउन नियमों के तहत श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान बकाया था. आनन-फानन में इन श्रमिकों को बस और ट्रेन के जरिए प्रशासन के सहयोग से भेजा गया था. लेकिन श्रमिकों ने रवाना होने से पहले ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें बिना वेतन के भेजा जा रहा है.
जिस पर ईटीवी भारत ने प्रमुखता से खबर चलाई थी. जिसके चलते नागौर जिला प्रशासन ने सीमेंट कंपनी को श्रमिकों के वेतन भुगतान के लिए अल्टीमेटम दिया. अब मामले में 2500 से ज्यादा श्रमिकों के खाते में लॉकडाउन के नियमों के तहत सीमेंट कंपनी प्रबंधक ने न्यूनतम मजदूरी का पैसा डाल दिया है. बाकी बचे लोगों का भी भुगतान सोमवार तक होने की उम्मीद है.
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सीनियर RAS अधिकारी धर्मपाल सिंह ने बताया कि प्लांट में काम करने वाले श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी के पैसे खाते में डाल दिए हैं. वहीं 771 श्रमिक अब भी निर्माणाधीन निजी सीमेंट प्लांट में फंसे हुए हैं. जबकि बिहार के 250 से ज्यादा श्रमिकों की रवानगी के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं नागौर जिला प्रशासन के सहयोग से सीमेंट प्लांट में काम करने वाले 1,919 बाहरी राज्य के श्रमिकों को बसों और विशेष ट्रेन के जरिए उनके गांव भेजा जा चुका है.