वंदे भारत के लिए कोटा बनकर रह गया ट्रायल ट्रैक कोटा. रेलवे की उपलब्धियों में सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत मानी जा रही है. देश की आजादी के 75वें साल में अमृत महोत्सव के मौके पर देशभर में सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत चलाने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. जिन्हें साल 2022-23 के आम बजट में घोषित किया गया. जिसमें अगले 3 सालों में 400 वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की घोषणा की हुई थी. इसके बाद कई रेल मंडलों को यह ट्रेन मिल भी गई है, लेकिन कोटा रेल मंडल आज भी सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत से महरुम है. जबकि यहां पर ट्रायल हो रहा है, तो ऐसा माना जाता है कि यह ट्रैक वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए फिट है. शुरुआती कोच से लेकर सभी ट्रायल कोटा में ही हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कोटा रेल मंडल वंदे भारत एक्सप्रेस की मांग अधूरी ही हैं. जबकि कोटा रेल मंडल से गुजर रहे दिल्ली मुंबई रेलवे ट्रैक को मिशन रफ्तार के जरिए अपडेट किया जा रहा है और इसकी स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़ाकर 160 की जा रही है.
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कतार में है कोटा रेल मंडलः ईटीवी भारत में वंदे भारत एक्सप्रेस के बारे में कोटा रेल मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य मंडल प्रबंधक रोहित मालवीय से बात की. उनका कहना है कि कोटा रेल मंडल का ट्रैक वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए फिट है, लेकिन ट्रायल अलग बात है. इसके लिए वंदे भारत की पूरी रैक कोटा रेल मंडल को भी मिलनी है. इसके लिए प्राथमिकता रेलवे बोर्ड और मंत्रालय से तय होती है. अभी कोटा सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत के रैक के लिए कतार में है. वंदे भारत का रैक जाने के बाद जनप्रतिनिधियों की सलाह पर मंत्रालय और रेलवे बोर्ड तय करता है कि किन शहरों के बीच में उसे का संचालन करना है.
कई तरह के ट्रायल हो चुके हैं कोटा रेल मंडल मेंः वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का कोटा में ही पहला हुआ था. जब यह बनकर तैयार हुई थी. इसमें ट्रेन रैक के 16 डिब्बों के प्रोटोटाइप रैक के ऑसिलेशन परीक्षण किया था. यह वंदे भारत ट्रेन सेल्फ प्रोपेल्ड इंजन से जुड़ी ट्रेन है. यानी इसमें अलग से इंजन लगा हुआ नहीं होता है. इसमें आटोमेटिक दरवाजे और वातानुकूलित चेयरकारों के कोच हैं और रिवॉल्विंग चेयर दी गई हैं, जो 180 डिग्री तक घूम सकती है. जिनके ट्रायल भी कोटा ही हुए है. इसके अलावा इंजन व उसके सिस्टम का ट्रायल भी हुआ था. इसके बाद में लगातार वंदे भारत ट्रेन को अपग्रेड किया गया है, तो उनके ट्रायल कोटा ही लिए जाते हैं. वर्तमान में भी कोटा में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के नए ब्रेकिंग सिस्टम का ट्रायल चल रहा है, लेकिन कोटा के पास यह ट्रेन नहीं है.
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बीते साल 180 की स्पीड पर भी दौड़ाया थाः वर्तमान में ब्रेकिंग सिस्टम का ट्रायल चल रहा है। इसके पहले साल 2022 में अगस्त महीने में भी कोटा रेल मंडल में ट्रायल हुआ था. जिसमें इस सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत को 180 की स्पीड पर भी दौड़ाया गया था. ट्रेन को सवाई माधोपुर से नागदा के बीच में कई बार 180 की स्पीड पर चलाकर ट्रायल लिया गया. हालांकि इसके पहले एक-दो दिन तक कम स्पीड पर ट्रायल लिया गया और उसके बाद 180 तक की स्पीड पर इसको ले जाया गया था. इसी गति परीक्षण को भवानीमंडी से कोटा व कोटा से घाट का बराना के बीच कुछ रेल सेक्शनों में वंदे भारत ट्रेन के रैक को लोड रहित किया है. यह ट्रायल भी करीब 7 से 8 दिन तक चला था.
ब्रेकिंग सिस्टम का चल रहा है ट्रायलः कोटा रेल मंडल में वर्तमान में ब्रेकिंग सिस्टम का ट्रायल वंदे भारत एक्सप्रेस का चल रहा है. इसके लिए वंदे भारत एक्सप्रेस 21 मई को कोटा पहुंच गई थी और उसका ट्रायल 24 मई से शुरू हो गया था और यह लगातार जारी है. इसे सवाई माधोपुर से नागदा के बीच में दौड़ाकर चलाया जा रहा है, जिसमें 160 की स्पीड पर भी ब्रेकिंग का टेस्ट किया गया है. इसके अलावा बारिश के समय भी ब्रेकिंग कैसी होगी? इसके लिए पटरी को गीला कर ब्रेक लगाकर ट्रायल लिया गया है. यह ट्रायल रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) और इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने की टीम कर रही है.
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मंत्रालय और रेलवे बोर्ड मानता है सबसे आदर्श रेलवे ट्रैकः वर्तमान में तेजस, अगस्त क्रांति, राजधानी सहित कई ट्रेनें 130 की स्पीड से चल रही है. जब इस ट्रैक को पूरी तरह से अपग्रेड कर दिया जाएगा और उसे 160 की स्पीड से ट्रेन संचालन के मुफीद मान लिया जाएगा. तब इस गति से गाड़ियां भी यहां से गुजरने लगेगी. रेलवे बोर्ड और मंत्रालय इस ट्रैक को काफी अच्छा मानता है. इसलिए यहां पर लगातार ट्रायल भी हो रहे हैं. देश में कोई भी नया इंजन, ट्रेन या कोच आते हैं. उसका ट्रायल यहां पर लिया जाता है. वहीं दिल्ली मुंबई रेलवे ट्रैक को मिशन रफ्तार के तहत ही अपडेट किया जा रहा है. इसके लिए इसके लिए कोटा रेल मंडल में 2664 करोड़ रुपए से 545 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. जबकि पूरे दिल्ली मुंबई रेल लाइन को 6000 करोड़ से ज्यादा में 160 की स्पीड पर चलने वाला बनाया जा रहा है.
मिशन रफ्तार में इस तरह से किया जा रहा है ट्रैक को अपग्रेडः
- रेलवे ट्रैक पर एनिमल और मेन रन ओवर की घटनाएं नहीं हो इनको रोकने के लिए ट्रैक की फैंसिंग की जा रही है.
- ट्रैक के सभी घुमाव को खत्म किया जा रहा है.
- ट्रैक के सीधा होने से ट्रेन की गति कम नहीं करनी होगी.
- कमजोर पटरियों को बदला जा रहा है और पुराने रेलवे ब्रिज को मजबूत बनाया जा रहा है.
- सिग्नल प्रणाली में काफी सुधार किया जा रहा है, साथ ही इसके लिए सेंसर भी इंस्टॉल किए जा रहे हैं.
- ओवरहेड इक्विपमेंट (ओएचई) को पूरी तरह से बदला जा रहा है.
- ज्यादा क्षमता वाले बिजली के तार लगाए जा रहे हैं.
- बिजली सप्लाई के पूरे सिस्टम को भी दुरुस्त किया जा रहा है.
- इसके लिए नए ट्रांसमिशन स्थापित करने के साथ पुराने ट्रांसमिशन को भी अपग्रेड किया जा रहा है.
- दिल्ली से मुंबई तक रेलवे ट्रैक पर किसी भी तरह का कोई मैनुअल रेलवे क्रॉसिंग नहीं होगा.
- अधिकांश जगह आरोपी या लो हाइट सबवे बनाए जा रहे हैं.
- चलती ट्रेनों के पहिए, बैरिंग, एक्सेल और इंजन में आई खराबी का पता लगाने के लिए सेंसर से रीडिंग करने वाला सिस्टम लगाया जा रहा है.
- ट्रेनों में आमने-सामने की भिड़ंत रोकने के लिए याद किए गए "इंडीजीनस टेक्निकल ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम" कवच को इंस्टॉल किया जा रहा है.