कोटा.जिले में 126 राष्ट्रीय दशहरा मेला चल रहा है. लेकिन नगर निगम में सत्ताधारी भाजपा बोर्ड और निगम के अधिकारियों में तालमेल का भारी अभाव नजर आ रहा है. वहीं बोर्ड की गुरूवार को मेला समिति की बैठक आयोजित हुई. जिसमें मेलाधिकारी कीर्ति राठौड़ के नहीं आने को लेकर समिति के सदस्यों ने महापौर के साथ भारी रोष प्रकट किया.
बता दें कि महापौर महेश विजय ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के मेले की मीटिंग को छोड़कर मेला अधिकारी प्रशासनिक मीटिंग में व्यस्त हैं. साथ ही महापौर ने निगम के अधिकारियों पर सीधा आरोप लगाया कि निगम के जनप्रतिनिधियों के सुझाव पर अधिकारी गौर नहीं कर रहे हैं. ऐसे में उम्मीद के मुताबिक मेला भव्यता के साथ आयोजित नहीं हो पा रहा है. यही कारण है कि निगम को जनता के सामने शर्मिंदा होना पड़ रहा है. चाहे मामला मेला परिसर में रोशनी, मेले का स्वागत प्रचार-प्रसार का हो या रावण परिवार के पुतलो के आधे अधूरे दहन का हो.
ऐसे में निगम ने रावण परिवार के आधे अधूरे दहन की जांच बैठा दी है. समिति का आरोप है कि नगर निगम के अधिकारियों ने इस बार बिना अनुभव ठेकेदार को रावण का पुतला बनाने का काम जोर-जबदस्ती दिया. वहीं मीटिंग में बॉडी बिल्डिंग कार्यक्रम का मामला भी जोर शोर से गरमाया. मेला समिति के सदस्यों ने निगम प्रशासन पर आरोप लगाया कि बिना समिति सहमति के कार्यक्रम के लिए 5 लाख तय कर दिया गया. समिति सदस्य कार्यक्रम को नहीं होने देंगे और कार्यक्रम होता है तो उसका भुगतान नहीं होने देंगे.
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इस बैठक में इस कार्यक्रम को समिति ने निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया. वहीं बैठक में पार्किंग स्टैंड का मामला भी जमकर गरमाया. स्टैंड के मामले को लेकर बैठक में जमकर हंगामा हुआ. मेला समिति अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में भी पूरी जांच करवाई जाएगी. आखिर बिना समिति की राय के ये फाइनल कैसे हो गया. साथ ही रावण के 1 दिन पहले दुकानों को हटाने के मामले में भी समिति ने महापौर के साथ अधिकारियों पर बिना प्लानिंग के मेला भरवाने का आरोप लगाया.