झुंझुनू. कुछ करने की जिद हो तो बाधाएं कैसे दूर होती है, शेखावाटी का इस्माइलपुर गांव यही कहानी बताता है. हरियाणा की सीमा पर बसे झुंझुनू केचिड़ावा कस्बे से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर इस्माइलपुर गांव स्थित है. कहने को ये शेखावाटी के अन्य इलाकों की तरह सामान्य गांव है. लेकिन, यहां पर जल सरंक्षण के लिए जो काम हुआ है, उसे देखकर समझा जा सकता है कि देखते ही देखते किसी गांव की किस्मत पानी कैसे बदल देता है.
महज एक दशक पहले इस गांव में केवल रेत के टीले थे और पानी एकदम खारा था. लेकिन, अब इस गांव की तस्वीर बदल चुकी है. रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान के सहयोग से इस्माइलपुर गांव में पानी की एक-एक बूंद सहेजने की शुरुआत हुई. 145 परिवारों वाले इस गांव के हर गांव में बरसाती पानी का टांका बनाया गया. गांव की सड़कों से मैदानों में गिरने वाले बारिश के पानी के लिए बड़े तालाब बनाए गए. गंदे पानी को भी जमीन में पहुंचाया गया और फिर यहां प्रदेश का पहला पुनर्भरण कुआं बना. साल भर में ये गांव करीब 53 लाख लीटर पानी को वापस भूगर्भ में भेजता है. बारिश के पानी से खेतों में सिंचाई होती है.
हर घर में टांका, गांव में 2 तालाब बनाएं
बारिश का पानी एकत्रित करने के लिए गांव के हर घर में सेवा संस्थान में टांके बनवाए. इस तरह 37 लाख लीटर बरसाती पानी मिल रहा है. गैरों में बने टांकों से ओवर फ्लो पानी को सड़कों पर पाइपलाइन से जोड़ा गया. इस तरह इस पानी को तालाब तक पहुंचाया गया. ये तालाब लबालब होने पर शेष पानी को पुराने कुओं में डाला गया. इसी तरह रसोई और स्नानघर से निकलने वाले पानी के संरक्षण के लिए एक गहरा कुआं खोदा गया, जिससे ये पानी जमीन में जाकर भूजल स्तर को बढ़ा सके. गांव वाले हर साल करीब करोड़ों लीटर पानी बचा लेते हैं. इससे भूजल स्तर बढ़ा है. पीने के लिए उन्हें भूजल की जरूरत नहीं होती. इसके लिए पानी टैंकों में एकत्रित रहता है और भूजल केवल सिंचाई के काम आता है.