झुंझुनूं. जिले के नवलगढ़ कस्बे के मेन बाजार के बीचों-बीच गोपीनाथ जी का मंदिर स्थित है. जन्माष्टमी का पर्व यहां बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. इस मंदिर में कस्बे के अलावा 25-30 किलोमीटर दूर से लोग दर्शन करने आते हैं. सुबह से ही भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में यहां धार्मिक आयोजन होते हैं.
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नवलगढ़ के आसपास के क्षेत्र में प्रसिद्ध ये गोपीनाथ जी का मंदिर काफी प्राचीन है. ठाकुर नवलसिंह ने नवलगढ़ बसाना शुरू किया था तो कस्बे के बीच में गोपीनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था. इस मंदिर निर्माण के समय को लेकर प्रामाणिक जानकारी नहीं है, लेकिन ठाकुर नवलसिंह के पड़पोते देवेंद्र सिंह बताते हैं कि लगभग 1737 ई. में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था. मंदिर में पूजा-पाठ का काम स्वामी लक्ष्मणदास को सौंपा गया था. इस संबंध में एक पत्र की प्रतिलिपि नवलगढ़ के पुरालेखागार में मिलती है, जो संवत 1812 विक्रमी की लिखी गई है.
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गोपीनाथ जी के भोग और पूजा-पाठ की सामग्री के खर्चे के लिए आय के स्रोत भी निर्धारित किए गए थे. रोजाना झुंझुनूं की जकात चौकी से ठाकुर नवलसिंह के हिस्से की आय में से एक रुपया और नवलगढ़ की चौकी से एक कौड़ी रोज मंदिर के कोष में जमा की जाती थी. इसके साथ ही कस्बे के वैश्य समाज की पुत्रियों के विवाह के उपलक्ष्य में 11 रुपए और पुत्रों के विवाह के समय एक नारियल भेंट चढ़ाने का रिवाज था.
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प्राचीन गोपीनाथ मंदिर के पुजारी रिछपाल रूंथला ने बताया कि स्थापना समय के बाद से आजतक मंदिर के मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया गया. हर साल जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. जिसमें पूरे कस्बे के श्रद्धालु उमड़ते हैं. भगवान को भोग लगाने के बाद मध्यरात्रि को भगवान के जन्म के बाद मंदिर में प्रसाद बांटा जाता है.