झालावाड़. आज मातृत्व दिवस के अवसर पर लोग मां के त्याग, सेवा और समर्पण को याद कर रहे हैं, लेकिन झालावाड़ के सुनेल कस्बे में प्रशासनिक लापरवाही के चलते दो बेटों को अपनी मां की अंतिम यात्रा भी एक ठेले पर करवानी पड़ी. झालावाड़ के सुनेल कस्बे में नवलपुरा चौक निवासी एक कोरोना संक्रमित महिला की मौत हो गई. बेटों ने प्रशासन को सूचना दी लेकिन न तो उन्हें एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई और ना ही कोरोना गाइड लाइन के अनुसार शव का अंतिम संस्कार करवाया गया. मजबूर दोनों बेटों को हाथ ठेले पर मां के पार्थिव शरीर को श्मशान तक ले जाना पड़ा और खुद ही अंतिम संस्कार करना पड़ा.
नहीं मिली एंबुलेंस, ठेले पर मां का शव लेकर श्मशान घाट तक गए बेटे, किया अंतिम संस्कार
कोरोना काल में जहां लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है तो वहीं मौत के बाद शव को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं नसीब हो रही है. रविवार को झालावाड़ में मां की कोरोना से मौत के बाद एंबुलेंस नहीं मिलने पर बेटों को ठेले पर शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए श्मशान तक जाना पड़ा.
मृतका के बेटे दिनेश कुमार ने बताया कि उनकी माता अपर्णा सुशांता की रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव आने और सांस में तकलीफ होने के कारण 30 अप्रैल को डाबला खींची के कोविड केयर सेंटर में भर्ती कराया गया था. दिनेश के मामा भी वहीं भर्ती थे जिनकी 2 दिन पहले इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी. ऐसे में भाई की मौत होने पर उसकी मां ने घर आने की इच्छा जताई तो उसे परिजन घर ले आए. शनिवार को मां अपर्णा ने भी दम तोड़ दिया. इस पर परिजनों ने पुलिस प्रशासन तथा चिकित्सा विभाग से एंबुलेंस उपलब्ध करवाने का आग्रह किया लेकिन उन्हें नहीं उपलब्ध कराई गई. दिनेश ने बताया कि हाथ ठेले में वे मां का शव मोक्षधाम ले गए जहां बिना कोरोना गाइड लाइन के ही उन्होंने अपनी मां का अंतिम संस्कार कर दिया.
वहीं इस मामले में बीसीएमओ अंकुर सोमानी का कहना है कि 2 मई को महिला के परिजन उसकी छुट्टी करवा कर घर ले गए थे लेकिन उनकी मौत होने के जानकारी उनके पास नहीं थी. उन्होंने बताया कि कोविड केयर सेंटर में किसी भी मरीज की मौत होने पर प्रोटोकॉल के तहत श्मशान घाट पहुंचाया जाता है और पूरी गाइडलाइन के साथ ही शव का अंतिम संस्कार कराया जाता है.