मनोहरथाना (झालावाड़). कोरोना की रोकथाम के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन ने जिले के अफीम किसानों को मुसीबत में डाल रखा है. पहले ही ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदा से फसल को भारी नुकसान हुआ था. वहीं, अब जिन किसानों की अफीम फसल खेत में खड़ी है. उन्हें लॉकडाउन के चलते दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है.
जिले के अकलेरा-मनोहरथाना सर्किल के कामखेड़ा, नांदेड, बंदा जागीर ,खजुरी जागीर, जावर सहित विभिन्न गांवों के अफीम किसान इन दिनों चिंता में हैं. लॉकडाउन के चलते किसानों की अफील तौल समय पर शुरू नहीं हो सकी है. ऐसे में अब किसानों को फसल खराब होने की चिंता सता रही है.
'काले सोने' की रखवाली कर रहा किसान कामखेड़ा गांव के अफीम किसान रामगोपाल मीणा के अनुसार हर साल अप्रैल महीने के पहले सप्ताह में अफीम तौल का काम शुरू हो जाता है. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते नारकोटिक्स विभाग ने आगामी आदेश तक अफीम तौल को स्थगित कर दिया. ऐसे में किसानों के घरों में पड़ा अफीम का दूध गर्मी के चलते सूख कर कम होने लगा है.
किसानों को यह डर सता रहा है कि विभाग की ओर से निर्धारित औसत किसान कैसे देंगे. झालावाड़ जिले के किसानों ने बताया कि अगर समय रहते विभाग की ओर से अफीम तौल नहीं किया गया, तो अफीम दूध आधा रह जाएगा और इसका हर्जाना किसानों को उठाना पड़ेगा.
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'काले सोने' की रखवाली...
वहीं, जिन किसानों ने लाइसेंस मिलने के बाद पट्टों की बुवाई कर दी थी. लेकिन किसी कारणों के चलते किसानों ने उन पर चीरा नहीं लगाया. उन किसानों को अब लॉकडाउन और जंगली जानवरों के डर के बीच अपने खेतों में 'काले सोने' की रखवाली करनी पड़ रही है. कई किसान तो ऐसे हैं जिनके खेत में अफीम की फसल खड़ी है और घर में भी अफीम का दूध पड़ा हुआ है. ऐसे में इन किसानों के ऊपर दोहरी मार पड़ रही है.
जल्द होगा फसल नष्ट करवाने का काम
उच्च अधिकारियों ने बताया कि डीएलसी का आदेश मुखियाओं के पास जल्दी पहुंच जाएगा. जिसके बाद जिन किसानों के खेतों में नष्ट करवाने के लिए अफीम की फसल खड़ी है. उस फसल को उखड़वाने के लिए विभाग के अधिकारी पहुंच जाएंगे. अफीम तौल निरस्त करने के संबंध में बताया कि उन्होंने इस संबंध में वित्तमंत्री और गृह मंत्री के अलावा विभाग के उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया है. अफीम किसानों के हित को देखते हुए जल्द ही तौल का कार्य भी शुरू किया जाएगा.
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झालावाड़ जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अकलेरा मनोहरथाना सर्किल के कामखेड़ा, खजूरी, जागीर, बंदा जागीर, जावर समेत कई गांवों में अफीम की पैदावार बड़ी मात्रा में होती है. ऐसे में काला सोना कहे जाने वाले अफीम की इस बार अपनी बदहाली के चलते किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आ रही है. बता दें कि किसानों ने 15 से 20 हजार खर्च करके अफीम की फसल को तैयार किया.
लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल पहले ही खराब हो गई. जिसके कारण फसलों में किसान चीरा नहीं लगा पाए. ऐसे में किसानों को अफीम फसल की दिन रात परिवार सहित खेतों पर डेरा लगाकर निगरानी करनी पड़ रही है, जिससे किसान परिवार चिंतित हैं.
किसानों का कहना है कि कुछ किसानों ने अफीम में चीरा भी लगा दिया. लेकिन किसानों का नारकोटिक्स अफीम डिपार्टमेंट की ओर से अफीम तौल का काम शुरू नहीं हो रहा है. वहीं, दूसरी ओर किसानों की अफीम फसल को नारकोटिक्स डिपार्टमेंट उनकी निगरानी में जब तक नष्ट नहीं करवा देता, तब तक फसल को ऐसे छोड़ भी नहीं सकते हैं. किसानों के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं की मार के साथ-साथ अब लॉकडाउन के उनकी चिंता बढ़ा रखी है.