झालावाड़. सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर को साधने के लिए विभाग द्वारा सभी विभिन्न कार्यक्रम करवाए जा रहे हैं. विद्यालयों के संचालन के लिए दिशा-निर्देश दिए हुए हैं. बावजूद इसके इन्हीं विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते योजनाएं और दिशा-निर्देश सिर्फ कागजों में ही दम तोड़ रहे हैं. इन्हीं में से एक कार्यक्रम एसएमसी मीटिंग है, जिसके तहत सभी सरकारी स्कूलों में विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित करवानी होती है. इस बैठक को लेकर सरकार ने फरमान जारी किया है कि ये बैठक प्रत्येक महीने होगी.
पढ़ें:जयपुर: सिंधी कैंप बस स्टैंड पर महिला ने बच्चे को दिया जन्म, रोडवेज स्टाफ ने की आर्थिक मदद
इसके लिए पहले विद्यालयों में एसएमसी (स्कूल मैनेजमेंट कमेटी) का गठन किया जाए और हर महीने इसकी बैठक आयोजित की जाए. इसी प्रकार माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में एसडीएमसी की कार्यकारिणी का गठन करके नियमित बैठक का आयोजन करवाना होता है. स्कूलों में इन कमेटियों का गठन तो कर लिया गया, लेकिन बैठकें फाइलों तक ही सीमित रह गईं हैं.
झालावाड़ के विद्यालयों में बरती जा रही लापरवाही वहीं, आरोप है कि झालावाड़ के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तुरकाडीया के प्रिंसिपल अनिता मीणा छात्र-छात्राओं सहित अभिभावकों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करती हैं. अभिभावकों सहित छात्र छात्राओं को उनके तानाशाही रवैए का शिकार होना पड़ रहा है इस मामले को लेकर झालावाड़ जिला अध्यक्ष एवं उपखंड कार्यालय में भी ज्ञापन दिया था.
पढ़ें:अजमेरः साल 2020 की सभी पेंडेंसी 6 दिनों में खत्म करने का लक्ष्य, पुलिस अधिक्षक ने दिए निर्देश
बताया जाता है कि प्रिंसिपल अनिता मीणा ने स्कूल में शिक्षा का स्तर बिगाड़ रखा है. इन दिनों स्कूल में एक से आठ तक के बच्चों को बुलाया जाता है, लेकिन स्कूल में कोरोना के मद्देनजर कोई व्यवस्था नहीं है. प्रिंसिपल अनिता मीणा कोरोना गाइडलाइंस की पालना नहीं कर रही हैं. गांव वालों ने बताया कि बच्चों से संबंधित कोई जानकारी लेने के लिए स्कूल में जातें हैं तो महिला प्रिंसिपल अनिता मीणा गांव वालों को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देती है, ऐसे में सभी अभिभावकों को डरा धमकाकर रखा है. ऐसे में प्रिंसिपल अनिता मीणा के खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन भी किया है.