आहोर (जालोर). आहोर उपखंड क्षेत्र के कोराणा गांव राष्ट्रीय आपदा कोरोना वायरस को लेकर इन दिनों चर्चा में है.कोराणा गांव को स्थानीय लोगों द्वारा स्थानीय भाषा में कोराना बोला जाता हैं. गांव के ओमनाथ ने बताया कि कोराणा गांव पूर्व में ढाणियों के रूप में बसा हुआ था, जो वर्तमान में विकास की गति के साथ-साथ सड़कों, पक्की इमारतों और जनसुविधाओं से युक्त है. माना जाता है कि आहोर तहसील का कोराणा गांव भाद्राजून परगना का हिस्सा हुआ करता था.
कोराणा गांव बना चर्चा का विषय लोगों ने बताया कि यह गांव पहले दो अलग-अलग ठाकुरों के अधीन रहा है, जिसमें से एक को ऊपर वाला कोराणा और दूसरे वाले को नीचे वाला कोराणा नाम से पुकारा जाता था. पहले देवड़ा राजपूतों ने इस गांव को बसाया था. गांव के वरिष्ठ नागरिक भगवतसिंह जोधा हैं. साथ ही गांव में सर्व समाज के लोगों का निवास स्थान है. करीब 2 हजार की आबादी वाले इस गांव के नाम को लेकर अब ग्रामीण भी चर्चा में आने लगे हैं.
गाड़ी पर लिखे कोराणा के साथ सेल्फी लेते हैं लोग ले लेते हैं सेल्फी
इस गांव से गुजरने वाले राहगीर भी रूककर गांव के नाम वाले बोर्ड के सामने अपना फोटो लेकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे हैं. इसको लेकर गांव की अलग ही पहचान बनने लगी है. विश्व स्तर पर कोरोना वायरस भयंकर आपदा का रूप ले रहा है, लेकिन कोराणा गांव के लोगों में अपनापन है. गांव के छगन विरास का कहना है कि भले ही वायरस का नाम कोरोना हो, लेकिन हमारे गांव का नाम कोराणा होने से इसका वायरस से कोई संबंध नहीं है.
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छगन ने कहा कि हमारे गांव कोराणा को स्थानीय बोलचाल की भाषा में कोराना कहते हैं, लेकिन हमारे गांव पर हमे गर्व हैं. गांव में करीब 1250 वोटर हैं. भोपाजी लाखाराम ने बताया कि मंदिर के वाहन के आगे सुभद्रा माता मंदिर धाम कोराणा होने से हम जहां भी जाते हैं, वहां लोग फोटो लेने लगते हैं.