जालोर.जिले मे कोरोना संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिये जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग की ओर से हर स्तर पर व्यापक प्रबंध करने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन इन बड़े दावों के बीच एक बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है. जिससे आम लोगों को काफी परेशान होना पड़ रहा है. कोरोना जांच के लिए एकत्रित किये जा रहे सैंपल बड़ी संख्या में रिजेक्ट हो रहे हैं. रिजेक्ट सैंपल के कारण कई बार लोगों को दूसरी बार सैंपल देना पड़ रहा है, तो कई बार सप्ताह तक रिपोर्ट के लिए इंतजार करना पड़ रहा है.
जोधपुर के मेडिकल कॉलेज से सैंपल की आने वाली रिपोर्ट पर ईटीवी भारत ने लगातार नजर रखी तो यह मामला प्रकाश में आया. चिकित्सा विभाग की ओर से जालोर जिले में अब तक करीबन 20 हजार 806 सैंपल लिए जा चुके हैं. जिसमें 954 सैंपल रिजेक्ट हो चुके हैं. इनमें कुछ ऐसे व्यक्तियों के सैंपल रिजेक्ट हुए हैं, जिनकी मौत तक हो चुकी है.
चिकित्सा विभाग के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गजेंद्र सिंह ने बताया कि जिले में अब तक 20,806 सैंपल लिए गए हैं. जिसमें से 18,669 नेगेटिव और 216 पाॅजिटिव आये हैं, लेकिन इन रिपोर्ट में अब तक 954 सैंपल रिजेक्ट भी हुए हैं. रिजेक्ट होने के पीछे चिकित्सा विभाग के अधिकारी ज्यादा दूरी तक परिवहन करने के दौरान लीकेज होने और डाटा ऑनलाइन नहीं होने का हवाला दे रहे हैं.
जिले के सांचौर क्षेत्र के खारा निवासी पूनमाराम (40) पुत्र भीखाराम विश्नोई की गत 15 अप्रैल को अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई थी. चिकित्सा अधिकारियों को संदेह हुआ तो मृतक के कोरोना टेस्ट के लिए सांचौर सीएचसी में लैब टेक्नीशियन की ओर से स्वाब का नमूना लिया गया. वहीं बीसीएमओ के निर्देश पर वीटीएम किट (वायरस कलेक्शन किट) जिला अस्पताल भिजवाया गया. लेकिन हैरत की बात यह है कि कोरोना टेस्ट के लिए जोधपुर भेजने से पहले पीएमओ ने इसे रिजेक्ट कर दिया. इसके बाद मृतक का सैंपल ना तो दोबारा लिया गया और ना ही उसकी कोरोना जांच हो पाई. इस तरह सैंपलिंग में बरती जा रही लापरवाही के कारण अगर एक भी संक्रमित मरीज जांच से रह जाए तो इसका खामियाजा जिलेवासियों को भुगतना पड़ सकता है.