जैसलमेर. आमतौर पर शिक्षा में पिछड़ा माने जाने वाले जैसलमेर के होनहार अब पुरानी सभी भ्रांतियों को तोड़ रहे हैं, लेकिन यहां अभी भी शिक्षा के क्षेत्र में उतना विकास नहीं हुआ है. जितना होना चाहिए. जिले में सीबीएसई पैटर्न की पढ़ाई की बात की जाए तो दसवीं कक्षा के बाद विद्यार्थियों के पास स्कूल का विकल्प ना के बराबर है.
जैसलमेर में सीबीएसई पैटर्न के मात्र 4 विद्यालय हैं. इनमें भी सभी संकाय नहीं है. इसके साथ ही प्रत्येक विद्यालय में 40 सीट ही फिक्स हैं. ऐसे में जैसलमेर में हजारों की संख्या में दसवीं पास करने वाले कुछ विद्यार्थी ही सीबीएसई पैटर्न में अपनी पढ़ाई आगे जारी रख पाते हैं. इसके बाद उन्हें अन्य जिले या आरबीएससी के पैटर्न से पढ़ाई करनी पड़ती है. इससे विद्यार्थियों को परेशानी उठानी पड़ रही है.
जैसलमेर में छात्रों के सामने एडमिशन का संकट देश व प्रदेश में इन दिनों कोरोना का प्रकोप चल रहा है. ऐसे समय में अभिभावक अपने बच्चों को बाहर भेजने में भी संकोच कर रहे हैं. जहां अन्य जिलों में कोरोना पॉजिटिव के रोज नए आंकड़े सामने आ रहे हैं. वहीं इस महामारी से हर कोई परेशान है. ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों को बाहर भी नहीं भेज पा रहे हैं. इन चार स्कूल में संख्या प्रवेश नहीं होने की स्थिति में बच्चों के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है. जबकि अन्य जिलों में सीबीएसई पैटर्न के कई स्कूल हैं.
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वहीं जैसलमेर में मात्र 4 स्कूलों होने के कारण विद्यार्थियों के पास आरबीएसई पैटर्न से पढ़ाई करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है. ऐसे में बच्चों की मांग है कि या तो स्कूलों में संकाय बढ़ाई जाए या स्कूलों में सीट बढ़ाई जाए. ताकि उनका अपना भविष्य बेहतर बन सके.