जयपुर में सिंधु एकता महासंगम जयपुर. विधानसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से प्रत्याशियों पर मंथन किया जा रहा है. इस बीच सिंधी समाज ने भी जयपुर में सिंधु एकता महासंगम करते हुए शक्ति प्रदर्शन किया. साथ ही राजनीतिक दलों से 10% सीटों पर सिंधी कैंडिडेट को टिकट देने की मांग की है.
राजस्थान में पहली बार बुधवार को जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में सिंधु एकता महासंगम का आयोजन हुआ. इसमें प्रदेशभर के सिंधी समाज के लोग शामिल हुए और एक स्वर में राजनीति में सिंधी समाज का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग उठाई. इस दौरान मौजूद रहे संत महामंडलेश्वर स्वामी हंसराज उदासीन ने कहा कि सनातन धर्म समाज को बढ़ाने में सिंधी समाज का बहुत बड़ा योगदान है.
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सिंधी समाज को भी मिले प्रतिनिधित्वःउन्होंने कहा कि हमारा सबसे बड़ा योगदान अपनी जमीन देकर भारत को आजाद कराने का है. यदि सिंधियों ने जमीन नहीं दी होती तो आज भारत आजाद नहीं होता. जिस तरह सभी जाति-पंथ को राजनीति में प्रतिनिधित्व मिल रहा है, उसी तरह से सिंधी समाज को भी मिलना चाहिए. चाहे वो कांग्रेस हो, बीजेपी हो या अन्य कोई दल. सभी दलों को किसी भी समाज को दरकिनार नहीं करना चाहिए. सिंधी समाज पर तो विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि वे अपना वतन छोड़कर अपनी जमीन छोड़कर, यहां भारत में आकर बसे.
आगे बढ़ाने का काम सरकारों काःहंसराज उदासीन ने कहा कि सिंधी समाज को आगे बढ़ाने का काम इन सरकारों का है, लेकिन सरकारों ने सिंधी समाज पर आज तक ध्यान नहीं दिया. इस चलते राजस्थान का सिंधी महाकुंभ हुआ है. यदि इस शक्ति को देखने के बाद भी नहीं चेतते हैं तो और दूसरी रणनीति अपनाई जाएगी.
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राजनीतिक दलों ने नहीं लिया गंभीरता सेःमहासंगम के संयोजक चंद्र प्रकाश खेतानी ने कहा कि राजनीतिक दलों ने सिंधी समाज को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया. इसका एक कारण ये भी है कि सिंधी समाज के पास अपना क्षेत्र नहीं है, न वो अपनी संस्कृति के बचाव के लिए कुछ कर सकते हैं, और न ही भाषा के बचाव के लिए. सबसे बड़ी विडम्बना ये है कि राजस्थान सिंधी अकादमी का गठन किया गया है, लेकिन बीते 5 साल में सरकार अध्यक्ष की नियुक्ति तक नहीं कर सकी. इससे सिंधी समाज के प्रति सरकार की सोच का आकलन किया जा सकता है. इस मंच का उद्देश्य यही है कि सिंधी समाज एक शक्ति के रूप में यहां संगठित हो. अपनी आवाज बुलंद करे. राजनीतिक दलों ने समाज के साथ जो भी कमियां रखी हैं, उस पर मंथन करें. इस मंच के माध्यम से नीतिगत निर्णय लिया गया है कि जो सिंधी समाज का होगा, सिंधी समाज उसका होगा.
इस दौरान मौजूद रहे पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत के संरक्षक संतोष मोटवानी ने कहा कि राजनीतिक पहचान के लिए कुछ कोटा निर्धारित होना चाहिए. उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से मांग करते हुए कहा कि लोकसभा, विधानसभा, यहां तक कि पार्षदों के चुनाव में भी सिंधी समाज को 10% कोटा मिले. सिंधी समाज की इस महापंचायत में समाज के कई नामचीन उद्योगपतियों के साथ-साथ राजनीति में सक्रिय बीजेपी नेता ज्ञानदेव आहूजा भी शामिल हुए.