जयपुर. रेलवे का निगमीकरण और निजीकरण के केंद्रीय सरकार की योजना के खिलाफ बुधवार को जयपुर रेलवे स्टेशन पर कॉन्फ्रेंस आयोजित कर विरोध जताया गया. नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया रेलवे ने रेलवे कर्मचारियों के सभी वर्गों को रेलवे उत्पादन इकाइयों और निजी दलों को गाड़ियों को सौंपने के फैसले को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर आह्वान किया.
एनएफआईआर के महासचिव डॉ एम राघवैया ने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजट घोषणा बहुत निराशाजनक रही है, क्योंकि रेल कर्मियों के मुद्दों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया हैं.
रेलवे का निगमीकरण और निजीकरण के खिलाफ विरोध रेलवे यूनियन की मांग-
- उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण और रेलवे गतिविधियों के निजीकरण और निजी दलों को गाड़ियों को सौंपने के लिए प्रस्ताव को वापस लेने की मांग.
- रेलवे से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली वापस लेने की मांग.
- पदों के आत्मसमर्पण और रेलवे गतिविधियों की आउटसोर्सिंग बंद करो.
- कर्मचारियों के मुद्दों पर आदेश जारी करे, जिस पर एनएफआईआर के साथ समझौता हुआ.
- रेलवे परिसंपत्तियों रेलवे कॉलोनी को निजी दलों को सौंपना बंद करें
- कार्यशाला और उत्पादन इकाइयों के कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन बोनस दरों में वृद्धि सुनिश्चित करना और एनएफआईआर के साथ आयोजित विचार-विमर्श के आधार पर वरिष्ठ अनुभाग अभियंता को प्रोत्साहन बोनस भी बढ़ान.
- भारतीय रेल पर सुरक्षा श्रेणियों को जोखिम और कठिनाई भत्ता प्रदान करना. और कर्तव्यों के निष्पादन के दौरान इन श्रेणियों के लिए जोखिम और कठिनाई के तत्व पर विचार करते हुए ट्रैक मेंटेनर के लिए मौजूदा जोखिम और कठिनाई भत्ता में वृद्धि करने की मांग.
वहीं एनएफआईआर के महासचिव ने बताया कि पूर्व रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे और सुरेश प्रभु ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया था कि रेलवे को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से छूट देनी चाहिए क्योंकि इसकी भूमिका जटिल है.
सीमा सुरक्षा के लिए रक्षा बलों की तरह ड्यूटी के दौरान दूरदराज के स्थानों पर कार्य बल काम करता है तो उस दौरान अपनी जान, दांव पर लगाता है. उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा की है. वहीं उन्होंने बताया कि मंत्री ने आश्वासन दिया है कि पहले से भेजे गए प्रस्तावों पर उचित पहल की जाएगी.