जयपुर. सरकार किसी की भी हो. तेल का खेल हमेशा से चलता आया है. कर' आय का बड़ा और आसान स्रोत है. आसान इसलिए कि जनता उपभोग करती नहीं कि पैसा सीधे सरकार के खजाने में कोई झंझट नहीं. सरकारी मशीनरी को चलाने का सबसे बड़ा जरिया. खैर छोड़िए. मोदी 2.0 सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 2 रु. प्रति लीटर बढ़ाने का फैसला किया है. इससे किराया, दूध-सब्जी जैसी खाने-पीने की चींजे और ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी होने की आशंका है। डीजल मंहगा होने पर खेती में लागत बढ़ेगी सो अलग.
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाकर सरकार ने काटी आम-आदमी की जेब
मोदी सरकार ने अपनी दूसरी इनिंग की शुरूआत आम-आदमी पर पेट्रोल-डीजल के कोड़े बरसाकर की है. एक रुपया उत्पाद शुक्ल के नाम पर तो एक रुपया ढाचांगत सेस के नाम पर बढ़ाया है. इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट बस, ऑटो, जीप और यहां तक की रेल का किराया बढ़ने की भी आशंका है.
मोदी सरकार ने अपनी दूसरी इनिंग की शुरूआत आम-आदमी पर पेट्रोल-डीजल के कोड़े बरसाकर की है. एक रुपया उत्पाद शुक्ल के नाम पर तो एक रूपया ढाचांगत सेस के नाम पर बढ़ाया है. इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट बस, ऑटो, जीप और यहां तक की रेल का किराया बढ़ने की भी आशंका है. वित्त मंत्री ने अभी प्रस्ताव ही रखा है लेकिन तेल पंप मालिकों ने देश के सभी शहरों में तेल के दामों में दो से ढाई रुपये की बढ़ोत्तरी कर दी है। इस बढ़ोत्तरी से खाने-पीने की चीजें, सब्जी, दूध के दाम भी बढ़ेंगे. लोगों में हाहाकर मचना लाजमी है.
इस बढ़ोत्तरी का सीधा असर मुद्रास्फीती पर पड़ेगा. जब लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसे नहीं बचेंगे तो इसका विपरित असर औद्योगिक उत्पादन पर पड़ेगा. बाजार में मांग नहीं होने पर उत्पादन धीमा होगा. रोजगार के अवसरों में कमी आएगी. कटौती होगी. इसके चलते बैंक ब्याज दर बढ़ाएंगे. ब्याज दर बढ़ने से होम लोन और अन्य सभी तरह के लोन मंहगे होंगे. इससे एक बार रियलीटी स्टेट मंदी की मार झेलेगा. मामला तो गड़बड़ा रहा है. निर्मला ने सवा दो घंटे के अभिभाषण में रोजगार के बारे में कुछ नहीं बोला, जो सबसे ज्वलंत मुद्दा है. सारी दिक्कतों के बावजूद युवाओं ने मोदी सरकार को दूसरी बार मौका दिया है. तेल के दामों में बढ़ोत्तरी का सीधा असर खेती की लागत पर भी पड़ेगा. ट्रेक्टर और डीजल इंजन डीजल से ही चलता है. बताने की जरूरत नहीं है कि क्या होगा.