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दीयों की रोशनी से जगमग होगी कुंभकारों की दीपावली...बेहतर आय की उम्मीद

दीपावली को लेकर लोगों में उत्साह बना हुआ है. इस बीच कुंभकारों (Kumbhakar expects good income on Diwali) को भी इस दीपावली मिट्टी के दीयों की बिक्री से बेहतर आय की उम्मीद है. इस बार मांग ज्यादा होने से कुंभकारों के चेहरे पर खुशी के भाव नजर आ रहे हैं.

Kumbhakar expects good income on Diwali
कुंभकारों की तस्वरी

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Published : Oct 20, 2022, 10:01 AM IST

रेनवाल (जयपुर). दीपावली नजदीक आने के साथ ही बजारों में रौनक और (Kumbhakar expects good income on Diwali) लोगों में उत्साह का महौल नजर आने लगा है. दो साल तक कोरोना से जूझने के बाद इस बार लोगों में दीपावली को लेकर खासा उत्साह बना हुआ है. इस बीच रेनवाल सहित आसपास के कुंभकारों को भी इस दिवाली पर मिट्टी के दीपों के जरिए अच्छी कमाई की आस जगी है.

इसी आस में वो दीपक बनानें में जुटे हुए हैं. रेनवाल कस्बे में करीब एक दर्जन परिवार इस पुस्तेनी काम में लगे हैं. दीपक बनाने से लेकर मिट्टी की कलात्मक चीजें बनाई जा रही हैं. इस बार मांग ज्यादा होने से चेहरे पर खुशी है. कुंभकारों का कहना है कि यह दिवाली उमंग भरी आएगी. चारों ओर उम्मीद व उमंग की रौशली फैलेगी. हांलाकि पिछले कई वर्षो से आधुनिकता का असर दीपावली जैसे पर्वों पर भी पड़ा है. यही वजह है कि आज मिट्टी के दीपों की जगह बिजली के बल्बों और मोमबत्तियों ने ली है. माटी की महक पर चाईनीज सामान भारी पड़ गए हैं. कभी उत्सवों की शान समझे जाने वाले दीपों का व्यवसाय आज संकट के दौर से गुजर रहा है.

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यह है कुंभकारों का दर्दः कुंभकार रामदेव प्रजापत का कहना है कि हम 40 किलोमीटर दूर से मिट्टी लाते हैं पुस्तेनी काम है, लेकिन अब इसमें दम नहीं है. बच्चों का इस काम में मन नहीं लग रहा है. क्योंकि इस काम में कुछ कमाई नहीं रही है. हर जगह चाईनीज सामान की मांग बढ़ गई है. हमारा मिट्टी का सामान बिक नही पाता. लेकिन इस बार लोगों में चाईना के आईटमों से मोहभंग के बाद दीपकों की अच्छी बिक्री की उम्मीद जगी है. बाबूलाल प्रजापत का कहना है कि दिन रात की मेहनत के बाद भी कुम्हार के काम में कमाई नहीं रही है, काम धंधे कम है, सरकार से भी कोई मदद नहीं मिल पाती है.

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