जयपुर. पुलवामा में CRPF काफिले पर हुए आतंकी हमले में जयपुर का लाल शहीद हो गया. जिसे पूरा देश आज नम आंखों से विदाई दे रहा है. जिले के शाहपुरा इलाके के गांव गोविंदपुरा के रहने वाले रोहिताश लांबा आतंकी हमले में शहीद हो गए.
पुलवामा में हुई आतंकी घटना में करीब 42 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे. जिसमें जयपुर के शाहपुरा स्थित गांव गोविंदपुरा के लाल रोहिताश लांबा भी इस आतंकी घटना के दौरान शहीद हो गए. जिसके बाद गोविंदपुरा गांव में लोगों की आंखें इस शहीद के लिए नम हो गई हैं. हालांकि रोहिताश के परिवार जिसमें उनके पिता और पत्नी शामिल हैं उनको रोहिताश की इस शहादत की जानकारी अभी तक नहीं दी गई है.
ऐसे में जब रोहिताश के रिश्तेदारों से पूछा गया तो उनका कहना था कि उन्हें इस बात की सूचना मिल गई है लेकिन, फिलहाल रोहिताश के पिता और उनकी पत्नी को इस शहादत की जानकारी नहीं दी गई है. उनका कहना है कि जब तक रोहिताश का पार्थिव देह गांव नहीं पहुंच जाता तब तक इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी जाएगी.
जयपुर का सपूत रोहिताश लांबा पुलवामा हमले में शहीद...लेकिन परिजनों को बताने की नहीं हो रही किसी को हिम्मत - राजस्थान
पुलवामा में CRPF काफिले पर हुए आतंकी हमले में जयपुर का लाल शहीद हो गया. जिसे पूरा देश आज नम आंखों से विदाई दे रहा है. जिले के शाहपुरा इलाके के गांव गोविंदपुरा के रहने वाले रोहिताश लांबा आतंकी हमले में शहीद हो गए.
उन्होंने बताया कि उनके पिता काफी बूढ़े हैं और उनकी पत्नी ने करीब 2 महीने पहले ही एक बच्ची को भी जन्म दिया है तो ऐसे में अगर उनको शहादत की जानकारी दी जाती है तो उनको संभालना काफी मुश्किल हो जाएगा. माना जा रहा है कि देर शाम तक रोहिताश का पार्थिव देह उनके गांव लाया जा सकता है. वहीं रोहिताश के परिवार वालों में काफी गुस्सा नजर आ रहा है. उनका कहना है कि अब आर पार की लड़ाई ही इसका हल है और केंद्र में बैठे मोदी सरकार इसको लेकर जल्द फैसला ले. क्योंकि हमारे सैनिक जान गंवाने के लिए नहीं बल्कि इस देश की रक्षा के लिए सेना में शामिल होते हैं.ऐसे में खून का बदला खून और गोलियों का बदला गोलियों से ही अब लिया जाए.
प्रशासनिक अमला पहुंचा तो की नारेबाजी
प्रशासन जब शहीद रोहिताश के गांव में पहुंचा तो गांव वालों में काफी गुस्सा देखने को मिला. उन्होंने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और आरोप लगाया कि प्रशासन इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी समय पर गांव में नहीं पहुंचा और जब प्रशासन के आला अधिकारी गांव में पहुंचे तो गांव वालों ने उन्हें घेर लिया और प्रशासन के खिलाफ उनकी आंखों में गुस्सा साफ तौर पर देखने को मिला.