जयपुर. विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का दम भरने वाली भाजपा में इन दिनों संगठनात्मक चुनाव चल रहे हैं और इन चुनाव के लिए बनाए गए नियम और शर्तें चर्चा का विषय बनी हुई है. चर्चा का विषय इसलिए क्योंकि पार्टी को एकजुट रखने के लिए संगठनात्मक चुनाव में जो नियम और शर्तें बनाए गई है. उससे पार्टी के भीतर के आंतरिक लोकतंत्र पर भी सवाल उठने लगा है.
दरअसल, चुनाव में नामांकन दाखिल करने का अधिकार हर सक्रिय कार्यकर्ता को है लेकिन इनमें से किसे चुनना है ये अधिकार केवल पार्टी के पास ही है. भाजपा के संगठनात्मक चुनाव के तहत मंडल अध्यक्षों का चुनाव चल रहा है. लेकिन इसमें जो प्रोफार्मा जारी किया गया है उसमें दी गई शर्त में कई बाध्यता है. जैसे नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान ही संबंधित दावेदार को नामांकन वापसी का पत्र भी भरकर देना होगा.
इसी तरह चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किए जा रहे हैं लेकिन इसमें मतदान नहीं होगा बल्कि पार्टी आम सहमति से ही आए हुए नामांकन पत्रों में से किसी एक को मंडल अध्यक्ष बना देगी. यही प्रक्रिया बूथ, जिला और प्रदेश के चुनाव में अपनाई जाती है.