जयपुर. असम के मनोनीत राज्यपाल और अब तक राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे गुलाबचंद कटारिया ने गुरुवार को अपने दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया. उसके बाद राजस्थान विधानसभा में गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल नियुक्त होने पर विदाई समारोह हुआ. इसमें कटारिया ने अपनी बात रखते हुए पहली या दूसरी बार विधायक बने विधायकों से कहा कि अगर आप अपनी विधायक होने का धर्म ईमानदारी से निभाना चाहते हैं तो अधिक से अधिक समय बैठने की आदत डालें.
उन्होंने कहा कि आप पूरा राजस्थान नहीं घूम सकते. लेकिन सारे राजस्थान से आने वाले सदस्य आपके सामने जो बातें रखेंगे उनसे आपको सीखने को जरूर मिलेगा. उन्होंने कहा कि जनता हमारा मान सम्मान बढ़ाती है और हमको इस ऊंचाई पर बैठा देती है. उस जनता के प्रति हमारा समर्पण ही सबसे बड़ी कमाई है. चुनाव हारना जीतना चलता रहता है, इसमें अभिमान करने और दुखी होने की जरूरत नहीं होती. हमें तो बस जनता जिस भाव से हमें यहां भेजती है, उस जनता के प्रतिनिधि के तौर पर पूरी इमानदारी से काम करना चाहिए.
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वैचारिक संघर्ष हो, व्यक्तिगत नहीं : उन्होंने कहा कि हमारा सदन में पक्ष विपक्ष वैचारिक संघर्ष हो सकता है, लेकिन व्यक्तिगत संघर्ष नहीं. कटारिया ने कहा कि अगर आप अपनी जनता की सेवा करना चाहते हैं तो सदन ज्यादा से ज्यादा चलना चाहिए. क्योंकि अगर बिना बात रखे सदन समाप्त हो जाएगा तो जनता की समस्या यहां कौन रखेगा? जनता ने हमें समय बर्बाद करने के लिए नहीं भेजा. उन्होंने सदन के सदस्यों से कहा कि न कोई गरीब होता है न अमीर, न कोई कमजोर, ईश्वर सबको एक जैसी मशीन देकर भेजता है. बस उस मशीन का उपयोग कैसे हो यह अपने ऊपर निर्भर करता है.
कटारिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर कहा कि 1980 में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सांसद होने के बावजूद 2 घंटे तक स्वागत कक्ष में फोन से अपने लोगों से बात करने के लिए इंतजार करते थे. इसका मतलब है कि अच्छाई तो आप जहां से ढूंढो वहां मिलेगी. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर इशारा करते हुए कहा कि इनकी यही खास बात है कि जो इनके अंदर होता है अभी बाहर होता है. उन्होंने कहा कि मैं भाग्यशाली हूं की पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के साथ काम करने का मुझे मौका मिला और सभी सदस्यों से मेरी प्रार्थना है कि हम जनता के अधिकारी नहीं जनता के सेवक बनकर काम करें.
कटारिया ने कहा कि इस बात को 24 घंटे ध्यान रखना चाहिए, जनता हमें सदन में काम करने के लिए भेजती है, मस्ती करने के लिए नहीं. कटारिया ने कहा कि देश बनाने के लिए लोकतंत्र से अच्छा कोई रास्ता नहीं है और देश तब बनता है जब जनता ऊपर उठेगी. कटारिया ने कहा कि मैं राजस्थान का हूं आपका हूं और राजस्थान का मान सम्मान करना मेरे नस-नस में है. ऐसे में चाहे राजस्थान के लिए प्रधानमंत्री के पास जाना हो या कहीं ओर जाना हो मैं जरूर जाऊंगा. कटारिया ने कहा कि मैं कई बार भावुक हो जाता हूं और आपसे लड़ भी जाता हूं और कई बार कटु शब्दों का प्रयोग भी किया. लेकिन मैं सभी लोगों से इस बात के लिए क्षमा चाहता हूं क्योंकि मेरे मन में किसी के प्रति बुरा ही नहीं था.
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कैमरे के सामने की हमारी ऐसी तैसी : उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए संविधान की पालना करते हुए मुझसे जो कुछ हो सकेगा वह मैं जरूर करूंगा. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सदन में गुलाबचंद कटारिया के विदाई भाषण पर बोलते हुए कहा कि 9 बार विधायक बनना और एक बार सांसद बनना अपने आप में बड़ी बात होती है. वरना हम देखते हैं कि सदन में चेहरे बदल जाते हैं. उन्होंने कहा कि कटारिया अब राजस्थान का मान असम के राज्यपाल के तौर पर बढ़ाएंगे.
साथ ही उन्होंने कहा कि इन दिनों राज्यपाल और सरकारों के बीच टकराव चलते हैं, ऐसे टकराव हमने पहले नहीं देखे. आप तो संघ कैडर के आदमी हैं आपको संविधान में जो राज्यपाल के तौर पर अधिकार मिले हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि आप उन्हें लागू करेंगे और राजस्थान के मान सम्मान को भी राज्यपाल के तौर पर संवैधानिक भूमिका निभाते हुए बढ़ाएंगे. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि गुलाबचंद कटारिया भावुक व्यक्ति हैं. सामने ढंग से बोलते हैं, लेकिन कैमरे के सामने जाते हैं तो हमारी "ऐसी तैसी" करते हैं. चाहे हमारी बात हो या हमारे नेतृत्व की बात यह बोलने में कोई कमी नहीं छोड़ते. लेकिन आज के बाद न तो इस पक्ष के लिए आप 'गुलाब जी' भाई साहब रहोगे और न ही दूसरे पक्ष के लिए गुलाब चंद कटारिया. अब आप संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करते हुए असम में अपना डंका बजाएंगे और राजस्थानी होने का मान सम्मान बढ़ाएंगे.
सीपी जोशी बोले मेरा सौभाग्य...:कटारिया के विदाई समारोह में स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि एक कार्यकर्ता से लेकर एक विधायक मंत्री और नेता प्रतिपक्ष से राज्यपाल के रूप में मनोनीत होते देखना मेरे लिए सौभाग्य है. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने जब इमरजेंसी लगाई तो उस समय गुलाबचंद कटारिया ने कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया. इनके जीवन को देखकर यह लगता है कि वैचारिक निष्ठा से ही व्यक्ति ऊंचाई प्राप्त करता है. हर व्यक्ति को लोकतंत्र में वैचारिक निष्ठा रखने का अधिकार है और आपने एक कार्यकर्ता के रूप में पूरा समर्पण रखा, इसलिए आप इस मुकाम पर पहुंचे.
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उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में यह आवश्यक है कि विभिन्न विचारधारा के लोग राजनीति में काम करें. संसदीय लोकतंत्र की ताकत यही है कि हम वैचारिक बातों को लोगों के बीच रखें और उनके आधार पर ही सत्ता में आएं. उन्होंने कहा कि 4 साल में हमने गरिमा पूर्वक काम किया और अब मैं उम्मीद करता हूं कि संवैधानिक पद पर रहकर आप और ऊंचाई प्राप्त करेंगे.
बलवान पूनिया बोले आप मदन दिलावर की चाबी देकर जाना :सीपीएम के विधायक बलवान पुनिया ने मजाकिया लहजे में कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि आपको राज्यपाल बनते हुए हम देख रहे हैं. इसके आगे उन्होंने कहा कि मेरी आपसे मांग रहेगी कि मदन दिलावर को काबू करने की चाबी, जो केवल आपके पास है वो हमें देकर जाएं. नहीं तो बाद में यह काबू में नहीं आएंगे.
इस दौरान संयम लोढा ने कहा कि मेरी आपसे कई बार नोकझोक हुई, लेकिन वो केवल वैचारिक लड़ाई थी. शांति धारिवाल ने कहा कि आपका पूरे प्रतिपक्ष पर पूरा नियंत्रण रहना यह बिरले नेताओ में था. इसके साथ ही धारिवाल ने यह भी कहा कि अब राजस्थान से राज्यपाल पद पर आसीन होने जा रहे हैं, लेकिन आपकी कमी इसलिए भी हमें महसूस होगी क्योंकि आप हमें बेजुबान करके जा रहे है. अब हम किसके साथ बहस करेंगे. इसके साथ ही धारीवाल ने यह भी कहा कि आपकी कार्यशैली हम भूला नहीं सकते. अब सवाल यह है कि आप तो जा रहे हो लेकिन आपकी जगह यह पद किसको मिलेगा?.